जेएनयू के कुछ छात्रों काे सुप्रीम कोर्ट का शनिवार (नवंबर 9, 2019) को अयोध्या पर आया फैसला रास नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे अयोध्या में भगवान राम के पैदा होने के स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इसके विरोध में जेएनयू के छात्रों ने शनिवार शाम को विरोध प्रदर्शन किया।
नवभारत टाइम्स द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में जेएनयू के छात्रों को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि अयोध्या भूमि टाइटल मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ’अनुचित’ था। विरोध करने वाले छात्र कहते हैं, “जय श्री राम लीगल हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लीगल कर दिया है। ये पब्लिक नारा बन गया है। इसे याद रखना। इससे निराश नहीं होना है।” हास्यास्पद यह है कि जितनी भीड़ वामपंथियों ने विरोध के लिए जुटाई थी और जितनी ऊँची आवाज में वो विरोध कर रहे थे, उससे कहीं अधिक जय श्री राम के नारे की गूँज सुनाई दे रही थी। नीचे के वीडियो में वामपंथी विरोध की दम तोड़ती आवाज को सुनिए और मजे लीजिए।
#AyodhyaJudgment
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) November 9, 2019
जेएनयू छात्रों के एक धड़े को नहीं पसंद आया अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय, यूनिवर्सिटी में निर्णय के विरोध में किया प्रदर्शन pic.twitter.com/7d1vgs9dQq
लेकिन बेचारे वामपंथी! विरोध के नाम पर विरोध करना था, सो किया। वीडियो में राम मंदिर पर विरोध कर रही भीड़ को संबोधित करता एक छात्र नेता कहता है कि दूसरे पक्ष को 5 एकड़ जमीन मिली है, जो उस भूमि का दोगुना है, जो कभी विवादित थी। उसने कहा, “इस तरह से तो मुस्लिम पक्ष जीत गया है। लेकिन यह जमीन का सवाल नहीं था। यह गरिमा का सवाल था। यह अधिकार और न्याय का प्रश्न है। यह कभी जमीन के बारे में था ही नहीं। 1992 के विध्वंस के बाद जो भी दंगे हुए, उसमें केवल मुस्लिमों ने ही अपनी जान गँवाई। यूपी में, मुंबई में और फिर गुजरात में दंगे हुए। तुम्हारा नरेंद्र मोदी भी उसी का प्रोडक्ट है। वह बाबरी मस्जिद विध्वंस का प्रोडक्ट है। भारतीय राजनीति का मौजूदा स्थिति भी उसी बाबरी मस्जिद विध्वंस की उपज है। ये तुम्हें नहीं भूलना है और वही मोदी जी आज आपको अयोध्या के फैसले पर देश को संबोधित करते हैं। ये चीजें नहीं भूलनी है। हमें निराश नहीं होना है।”
Communists planned a protest against the #AYODHYAVERDICT at the Sabarmati dhaba at JNU. Got the video of what happened instead ? pic.twitter.com/tlGvMPDE0n
— Abhinav Prakash (@Abhina_Prakash) November 9, 2019
मतलब इन्हें राम मंदिर पर विरोध करना हो या सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर… घूम-फिर कर इनका सारा तर्क एक ही नाम पर आकर अटकता है, वो है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। वामपंथी छात्रों ने जेएनयू के साबरमती ढाबा के पास भी विरोध रैली की योजना बनाई थी। उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया भी। हालाँकि उनकी ये योजना असफल हो गई, क्योंकि वहाँ पर एक और ग्रुप भी मौजूद था, जिसने “रामलला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे” के नारे लगाए। और इस नारे की गूँज इतनी थी कि वामपंथियों की योजना धरी की धरी रह गई।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने दशकों से चले आ रहे विवाद को खत्म करते हुए सर्वसम्मति से रामलला विराजमान के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट स्थापित करने के लिए कहा है, जो राम मंदिर निर्माण का प्रभारी होगा। वहीं, मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दिया जाएगा।