देश भर में कोरोना महामारी का प्रकोप किसी से छिपा नहीं है। हर रोज संक्रमितों की संख्या आने के साथ एक नया रिकॉर्ड कायम हो रहा है। हर प्रदेश की कोशिश है कि इस महामारी से अपने राज्य को जल्द से जल्द मुक्त कराया जाए, मगर राजस्थान के आँकड़े और प्रशासन का रवैया कुछ और ही दर्शा रहा है। जयपुर और टोंक के बाद अब राजस्थान का एक और शहर संक्रमण का हॉटस्पॉट बनकर उभर रहा है। यह शहर है, जोधपुर।
जोधपुर में कोरोना संक्रमण के मामले न केवल रोज दोगुनी गति से बढ़ रहे हैं, बल्कि इसके कारण रोज बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो रही है। शुक्रवार को जोधपुर में 100 नए मामले सामने आए। यह आँकड़ा प्रदेश में जयपुर के बाद सभी जिलों से सबसे ज्यादा है।
प्रशासन की तरफ से दिखाई जा रही लापरवाहियों के कारण अब वहाँ की जनता ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाना शुरू कर दिया है। लोगों का कहना है कि जोधपुर में हर दिन कोरोना से होने वाली मौत के आँकड़े बढ़ रहे हैं और प्रशासन की ओर से तब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं है। मानो कुछ हो ही न रहा हो। लोग सोशल मीडिया पर लिखते हैं, “प्रशासन ने हमें हमारे हालात पर छोड़ दिया है। हम अब भगवान भरोसे हैं। आगे से वोट देने से पहले ध्यान जरूर दें।”
The death count in #jodhpur is increasing day by day and there is no response from authorities. Like none at all. They have abandoned us. We are on god’s mercy. Just remember this when you vote next time #rajasthan #COVID19
— Arsenal ❤️ (@sanwat) September 17, 2020
गौरतलब है कि जोधपुर की हालात एक ओर जहाँ दिन पर दिन दयनीय हो रही है, वहीं इस बीच दैनिक भास्कर की स्थानीय रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रशासन केवल प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतें ही नहीं छिपा रहा, बल्कि कोरोना से संक्रमित लोगों का आँकड़ा भी छिपा रहा है।
खबर में दावा किया गया है कि विभाग द्वारा जारी की गई स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक जोधपुर में कोरोना के 19,535 मामले आए हैं, जबकि स्टेट में केवल 16,098 ही दर्ज हैं। सितंबर के मात्र 17 दिनों की बात की जाए तो 6,640 पॉजिटिव केस मिले हैं, जबकि 109 ने इस महामारी से दम तोड़ा है।
हैरानी की बात यह है कि पूरे अगस्त भर में शहर से उतने मामले सामने नहीं सामने आए थे, जितने सितंबर के पहले पखवाड़े में देखने को मिले हैं। 31 अगस्त तक शहर में कोरोना संक्रमितों का आँकड़ा 6,045 था, जो सितंबर के अभी तक के आँकड़ों से भी कम है। 1-17 अगस्त तक के बीच में केवल 26 मौतें हुईं थी और सितंबर आते-आते ये दर 4 गुना बढ़ गई और जान गॅंवाने वालों का आँकड़ा सितंबर में 109 तक पहुँच गया।
पूरे देश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार देखते हुए परेशानी की बात यह नहीं है कि राजस्थान के इस शहर पर क्यों महामारी का प्रसार बढ़ रहा है, बल्कि असली चिंता इस बात की है कि इतने गंभीर हालात होने के बाद प्रशासन की नींद नहीं टूट रही। एक दिन में जिले से 600-800 मरीज मिलने के बावजूद भी सड़कों पर भीड़भाड़ को और छोटे- मोटे आयोजनों को होने से नहीं रोका जा रहा। गुरुवार को इन्हीं लापरवाहियों के कारण एक 8 माह का नवजात भी संक्रमित पाया गया था।
पूरे प्रदेश की यदि बात करें तो भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में एक ही विभाग दो-दो तरह की रिपोर्ट जारी कर रहा है। स्थानीय स्तर पर जारी हेल्थ विभाग की रिपोर्ट के आँकड़े कहते हैं कि प्रदेश में कोरोना से कुल 1820 मौतें हो चुकी हैं। वहीं राज्य स्तर पर जयपुर से हेल्थ विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक अब तक कुल 1293 लोगों ने ही कोरोना से दम तोड़ा है।
यह रिपोर्ट सवाल उठाती है कि आखिर 527 मौतों का सच क्यों छिपाया जा रहा है? जबकि कोरोना छिपाने की नहीं, बताने की बीमारी है। यही नहीं, मरीजों की संख्या के आँकड़ों में भी स्थानीय रिपोर्ट और स्टेट रिपोर्ट में बड़ा अंतर है। स्थानीय प्रशासन की रिपोर्टों के हिसाब से प्रदेश में अब तक 1,30,715 लोग संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन स्टेट रिपोर्ट में यह संख्या 1,09,473 ही है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों जब दैनिक भास्कर ने कोटा में संक्रमित आँकड़ों को लेकर स्थानीय व स्टेट रिपोर्ट में अंतर को लेकर सवाल उठाया तो कोटा, जयपुर, अजमेर और भरतपुर में स्थानीय स्तर पर रिपोर्ट जारी करने पर ही बैन लगा दिया गया था।