प्रोपेगेंडा पत्रकार राना अयूब के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गाजियाबाद की विशेष अदालत में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में चार्जशीट दाखिल कर दी है। डोनेशन के नाम पर पैसे इकट्ठा करके उनकी हेर-फेर करने के इल्जाम में अयूब के विरुद्ध सितंबर 2021 में इंदिरापुरम थाने में एफआईआर हुई थी। इसके अलावा ईडी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए फरवरी में 1.77 करोड़ रुपए जब्त किए थे।
बहन और पिता के अकॉउंट में डलवाए लाखों रुपए
राना के विरुद्ध हुई एफआईर में कहा गया था कि राना अयूब ने ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केटो (Ketto) पर कुल 2,69,44,680 रुपए का फंड जुटाया था। ये धनराशि उसकी बहन और पिता के बैंक खातों में ट्रांसफर की गई थी। इस राशि में से 72,01,786 रुपए उसके अपने बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इसके अलावा उसकी बहन इफ्फत शेख के अकाउंट में 37,15,072 और उसके पिता मोहम्मद अयूब वक्फ के बैंक अकाउंट में 1,60,27,822 रुपए थे। बाद में उसकी बहन और पिता के अकाउंट से ये सभी धनराशि उसके खुद के अकाउउंट में ट्रांसफर कर दी गईं।
प्लानिंग के साथ लिया डोनेशन
अयूब ने ED के पास सिर्फ 31,16,770 रुपए के खर्च का ब्यौरा दिया था। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद सामने आया कि फंड में से सिर्फ 17,66,970 रुपए ही खर्च किए गए हैं। एजेंसी ने जाँच के बाद यह भी बताया था कि राना अयूब ने राहत कार्यों में पैसा खर्च होने के सबूत देने के लिए फर्जी बिल बनवाए थे। निजी सफर के लिए किए गए खर्च को राहत कार्य के लिए बताया गया था।
एजेंसी ने कहा था कि जाँच में साफ होता है कि राना अयूब ने पूरी प्लानिंग और व्यवस्थित तरीके से चैरिटी के नाम पर फंड जुटाया, और फंड का इस्तेमाल पूरी तरह चैरिटी के लिए नहीं किया। एजेंसी ने कहा कि राना अयूब ने फंड्स में से 50 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा कराए और उन्हें राहत कार्य में इस्तेमाल नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने PM CARES और CM Relief फंड में कुल 74.50 लाख रुपए जमा किए।
केटो ने दानदाताओं को बताई राना अयूब की धोखाधड़ी
इन आरोपों के बाद खुद केटो प्लेटफॉर्म ने भी राना अयूब के कैंपेन में फंड देने वालों को मेल भेजकर बताया था कि कैसे राना ने उनके साथ धोखाधड़ी की और उनका पैसा उस उद्देश्य के लिए नहीं प्रयोग किया जिसके नाम पर उसे लिया गया था। जानकारी के मुताबिक राना अयूब ने तीन कैंपेन चलाए। एक झुग्गीवासियों और किसानों के लिए; दूसरा असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य के लिए और तीसरा भारत में कोविड -19 प्रभावित लोगों की मदद के लिए। इन्हीं तीनों अभियानों के नाम पर पैसा उठाया गया और फिर उनकी हेरफेर हुई।