Friday, March 29, 2024
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‘डोनर्स के फंड का सही इस्तेमाल नहीं, एजेंसियाँ कर रहीं जाँच’: राणा अयूब के सोशल वर्क की Ketto ने खोली पोल

राणा अयूब ने बताया है कि उन्हें अभियानों में लगभग ₹2.69 करोड़ मिले थे, जिसमें भारतीय दानदाताओं से ₹1.90 करोड़ और विदेशी दान में $1.09 लाख शामिल थे।

फंड इकट्ठा करने वाले प्लेटफॉर्म केटो (ketto) ने पत्रकार राणा अयूब के सोशल वर्क की पोल खोली है। पता चला है कि इस प्लेटफॉर्म से फंड रेज होने के बाद उसका सही इस्तेमाल नहीं हुआ और इस फंड का बहुत हिस्सा अब भी अकाउंट में ही है। केटो ने राणा द्वारा चलाए जा रहे कैंपेन में शामिल डोनर्स को मेल भेजकर बताया कि भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा यह सूचित किया गया है कि राणा अयूब द्वारा जुटाए गए धन का उपयोग अभियानों में उल्लिखित उद्देश्यों के लिए नहीं किया गया था।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक केटो पर राणा अयूब ने तीन कैंपेन चलाए। एक झुग्गीवासियों और किसानों के लिए; दूसरा असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य के लिए और तीसरा भारत में कोविड -19 प्रभावित लोगों की मदद के लिए। मालूम हो कि इन अभियानों की वैधता के बारे में संदेह पहले से ही उठाया गया था, क्योंकि पत्रकार होने के बावजूद, अयूब एफसीआरए पंजीकरण के बिना विदेशी दान स्वीकार कर रहीं थी और इस प्रकार वह FEMA के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रही थीं।

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केटो द्वारा भेजा गया मेल

प्लेटफॉर्म के अनुसार, राणा अयूब ने उन्हें बताया है कि उन्हें अभियानों में लगभग ₹2.69 करोड़ मिले थे, जिसमें भारतीय दानदाताओं से ₹1.90 करोड़ और विदेशी दान में $1.09 लाख शामिल थे। एकत्र किए गए कुल ₹2.69 करोड़ में से, उन्होंने लगभग ₹1.25 करोड़ खर्च किए और उन्हें कर के रूप में फंड से ₹90 लाख का भुगतान करना बाकी है। इसका मतलब है कि लगभग ₹1.44 करोड़ अभी भी खातों में पड़े हैं। इसमें से ₹90 लाख टैक्स लायबिलिटी है, जबकि शेष ₹54 लाख कभी भी इच्छित लाभार्थियों तक नहीं पहुँचे।

केटो ने कहा कि वे अभियान के दानदाताओं को इसकी सूचना दे रहे हैं, क्योंकि इस मामले को भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने उठाया है। उन्होंने बताया कि वह अपने मंच पर अभियानों के माध्यम से जुटाए गए धन के उपयोग की पुष्टि, या पर्यवेक्षण नहीं करते हैं। केटो ने कहा कि दानदाताओं को उपयोग किए गए धन के विवरण के लिए प्रचारकों से संपर्क करना होगा।

बता दें कि कोविड-19 राहत कार्य के नाम पर फंड रेजिंग में सामने आई हेरफेर के बाद राणा अयूब ने इस अभियान को खत्म कर दिया था। इस मामले में ऐसे सवाल उठे थे कि राणा देश के FCRA कानूनों का उल्लंघन कर रही थीं। इसके अलावा लोगों की चिंता ये भी थी कि वह एक एनजीओ के माध्यम से अभियान चलाने के बजाय अपने निजी बैंक खातों का उपयोग कर रही थीं। सभी प्रश्नों के बीच राणा ने इस साल मई में अपने फंड रेजिंग अभियान को समाप्त करने का फैसला किया था।

उल्लेखनीय है कि इस पूरे मामले में एक ओर राणा अयूब यह घोषणा कर चुकी थीं कि वो एफसीआरए के उल्लंघन से बचने के लिए विदेशी दान वापस कर देंगी, लेकिन दूसरी ओर केटो मेल यह स्पष्ट करता है कि उन्होंने किसी भी विदेशी दान को वापस नहीं किया है। उन्होंने विदेशी चंदे में $1.09 लाख एकत्र किए थे और केटो मेल में किसी भी धनवापसी का उल्लेख नहीं है, जिसका अर्थ है कि उन्होंने दान वापस करने के बारे में झूठ बोला था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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