वाराणसी में ज्ञानवापी केस की सुनवाई करने वाले जज ने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को ले कर चिंता जताई है। जज के मुताबिक कुछ लोगों द्वारा एक साधारण मुकदमे को असाधारण तरीके से पेश किया जा रहा है। जज का नाम रवि कुमार दिवाकर है। रवि दिवाकर सीनियर डिवीजन के सिविल जज हैं। ओवैसी और कुछ अन्य लोगों ने ज्ञानवापी पर उनके फैसले को गलत बताया था।
फ़र्क साफ़ है।
— Aman Chopra (@AmanChopra_) May 12, 2022
ज्ञानवापी के सर्वे का फैसला देने वाले जज ने कहा डर का माहौल बना दिया गया, मेरे परिवार को सुरक्षा की चिंता। फैसले का विरोध भी शुरू।
लेकिन ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाने वाले जज को ऐसी कोई चिंता नहीं है। फैसले का स्वागत।
अपने और परिवार की सुरक्षा की चिंता को जज ने अपने फैसले में लिखा है। उनके मुताबिक, “इस से पहले शायद ही कभी किसी वकील ने कमीशन की कार्रवाई करने वाले कमिश्नर पर सवाल खड़े किए रहे हों। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इस केस से डर का ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि मुझे मेरे परिवार की और मेरे परिवार को मेरी सुरक्षा की चिंता बन गई है। मेरी माँ को लगा कि मैं कमीशन के साथ मौके पर जा रहा हूँ। उन्होंने मेरी सुरक्षा का हवाला देते हुए वहाँ जाने से मना किया। विपक्षी द्वारा ऐसा कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है जो एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर किसी और से जाँच करवाने के लिए पर्याप्त हो।”
जज ने पिछली बार सर्वे कार्रवाई पूरी न होने के पीछे जिला प्रशासन द्वारा रूचि न लेना एक बड़ी वजह बताई है। उन्होंने जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों को अहंकारी और घमंडी तक कहा है जो न्यायालय के आदेश का पालन करवाना ठीक नहीं समझते। जज के मुताबिक यहाँ तक कि वो अधिकारी हाईकोर्ट तक के आदेशों की भी अनदेखी करते रहते हैं।
गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी के सर्वे का लगातार विरोध कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार (12 मई 2022) को सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश जारी किया है। इस दौरान उन्होंने गर्भगृह तक सर्वे का आदेश दिया है चाहे उसके लिए ताले को खुलवाना पड़ें या उसे तोडना पड़े। इस बार 2 कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए गए हैं। दूसरे कमिश्नर का नाम विशाल सिंह है। कमीशन को सर्वे की रिपोर्ट अदालत में 17 मई 2022 तक दाखिल करना है।