Sunday, November 17, 2024
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कमलेश तिवारी हत्याकांड के साजिशकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, घटना से पहले हत्यारों से लगातार बात कर रहा था सैयद आसिम अली: HC ने नहीं दी थी बेल

मोहम्मद मुफ़्ती नईम काज़मी और इमाम मौलाना अनवारुल हक़ ने 2016 में ही उनकी हत्या का फरमान जारी करते हुए इनाम देने की घोषणा की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की हत्या के एक साजिशकर्ता को जमानत दे दी है। अप्रैल 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सैयद आसिम अली को बेल देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने के आदेश के बाद अब वो न्यायिक हिरासत से बाहर आ जाएगा। कमलेश तिवारी ‘हिन्दू समाज पार्टी’ संगठन के नेता थे। जस्टिस अभय S ओका और जस्टिस अगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने ये फैसला सुनाया। इन दोनों ने कहा कि आरोपित पहले से ही साढ़े 4 वर्ष से जेल में है।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता/आरोपित के खिलाफ लगाए गए आरोपों का भी जिक्र किया। बता दें कि सैयद आसिम अली पर हत्यारों के संपर्क में रहने और उन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का आरोप है। सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और उसे उत्तर प्रदेश के 1986 के गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला नहीं चलाया गया था। बता दें कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को लखनऊ से प्रयागराज ट्रांसफर कर दिया था।

अक्टूबर 2019 में इस्लामी कट्टरपंथियों ने कमलेश तिवारी के दफ्तर में घुस कर उन्हें मार डाला था। उन पर गोली चलाई गई थी, साथ ही चाकू से भी वार किया गया था। मोहम्मद मुफ़्ती नईम काज़मी और इमाम मौलाना अनवारुल हक़ ने 2016 में ही उनकी हत्या का फरमान जारी करते हुए इनाम देने की घोषणा की थी। मुस्लिम कट्टरपंथियों का मानना था कि कमलेश तिवारी ने पैगंबर मुहम्मद का अपमान किया है। इसके पीछे गहरी साजिश का पता चला, 13 आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

हाईकोर्ट ने इसे क्रूरता से दिनदहाड़े हुई हत्या बताते हुए कहा था कि ये कट्टर सांप्रदायिक घृणा का प्रदर्शन था। हाईकोर्ट ने माना था कि सैयद आसिम अली का भी इस हत्याकांड में किरदार है। हत्यारों से उसने घटना से तुरंत पहले कई बार बात की थी। इसके इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी हैं। कमलेश तिवारी की हत्या अशफाक और मोईनुद्दीन ने की थी। हाईकोर्ट ने माना था कि सैयद आसिम अली पूरी साजिश में शामिल था। कमलेश तिवारी की हत्या के बाद भारत में इस्लामी कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव पर बड़ी बहस छिड़ गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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