Friday, October 4, 2024
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कानपुर में पहले बिरयानी खिलाई, फिर पत्थरबाजी करवाई: उस बाबा बिरयानी पर सप्लाई का आरोप जिसके राम-जानकी मंदिर पर खड़े होने का दावा

"बाबा बिरयानी और उसके साथियों की कानपुर में हिंसा करवाने की लम्बे समय से तैयारी थी। जब से उन्हें पता चला है कि उनके द्वारा कब्ज़ा की गई मंदिर की जमीन पर सरकार कार्रवाई करने वाली है, तब से वे साजिश रचने में लगे थे।"

पिछले दिनों यह बात सामने आई थी कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में जो जगह सरकारी रिकॉर्ड में राम-जानकी मंदिर के तौर पर दर्ज है, वहाँ आज बाबा बिरयानी नाम से रेस्टोरेंट की चल रही है। अब खबर आई है कि शहर में 3 जून 2022 को जुमे की नमाज के बाद जो हिंसा भड़की थी, उस दिन पत्थरबाजों को बिरयानी खिलाई गई थी। इसकी सप्लाई बाबा बिरयानी ने ही की थी। पिछले मौके की तरह ही इस बार भी बाबा बिरयानी ने आरोपों को नकार दिया है।

दरअसल 3 जून को हुई हिंसा में कम उम्र के बच्चों द्वारा पथराव के CCTV फुटेज सामने आए थे। ताजा खुलासे के मुताबिक आरोपितों को न सिर्फ कुछ बिल्डरों द्वारा फंडिंग की गईए बल्कि शहर की चर्चित और विवादित बाबा बिरयानी की भी हिंसा में संलिप्तता थी। आरोप है कि बाबा बिरयानी ने न सिर्फ हिंसा के लिए फंड जुटाए, बल्कि पथराव से पहले हमलावरों को बिरयानी भी खिलाई थी।

बाबा बिरयानी के मालिक का नाम मुख्तार अहमद बाबा है। उस पर मंदिर की जमीन को कब्ज़ा कर वहाँ बिरयानी की दुकान खोल लेने के आरोप पहले से हैं। मुख़्तार कभी राम-जानकी मंदिर के एक हिस्से में साइकिल रिपेयरिंग का काम करता था। अब नए आरोपों के मुताबिक पड़ोसी जिले उन्नाव से बुलाए गए हमलावरों के खाने-पीने का इंतज़ाम बाबा बिरयानी ने ही करवाया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा के मुख्य आरोपित जफर हयात ने पुलिस पूछताछ में बाबा बिरयानी के मुख्तार अहमद के साथ बिल्डर हाजी वसी का भी नाम लिया है।

न्यूज़ 18 और MSB न्यूज़ में भी जफर हयात के कबूलनामे में बाबा बिरयानी का नाम होने की बात कही है। ऑपइंडिया ने कानपुर पश्चिम के DCP और जाँच अधिकारी ACP केमलगंज से इसकी पुष्टि का प्रयास किया। लेकिन दोनों ने बैठक में व्यस्त होने का हवाला दे बात करने से इनकार कर दिया। हिंसा के बाद फौरी तौर पर कानपुर भेजे गए IPS अजयपाल शर्मा ने कहा कि वे इस मामले में मीडिया से बात करने को अधिकृत नहीं हैं। कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा से भी उनके बैठक में होने के कारण संपर्क नहीं हो सका। पुलिस का वर्जन आने के बाद खबर को अपडेट किया जाएगा।

अवैध कब्ज़ा कायम रहे इसलिए करवाई गई हिंसा

कानपुर के स्थानीय हिन्दू नेता प्रभात कुमार ने ऑपइंडिया को बताया, “बाबा बिरयानी और उसके साथियों की कानपुर में हिंसा करवाने की लम्बे समय से तैयारी थी। जब से उन्हें पता चला है कि उनके द्वारा कब्ज़ा की गई मंदिर की जमीन और शत्रु सम्पत्तियों पर सरकार कार्रवाई करने वाली है, तब से वे साजिश रचने में लगे थे। अभी तो शुरुआत है, सही से जाँच हुई तो आगे कई और भी खुलासे होंगे।”

अपराधियों का संरक्षक है बाबा बिरयानी वाला

बजरंग दल के कानपुर जिला संयोजक कृष्णा तिवारी ने ऑपइंडिया को बताया, “हमने बाबा बिरयानी द्वारा मंदिर की जमीन पर कब्जा करने की कई बार शिकायत प्रशासन में की है। इसका मालिक मुख़्तार कानपुर के कई बड़े अपराधियों का संरक्षक रहा है। साल 2017 में कानपुर गैंगवार में मारे गए डी-2 गैंग के दुर्दांत अपराधी गुलाम नबी से मुख़्तार के सम्पर्क पाए गए थे। गुलाम नबी के फंडिग सोर्स भी कुछ बिल्डर ही बताए गए थे।” उन्होंने बताया, “मुख्तार अहमद बाबा ने बेकनगंज में ही दारुल शफा नाम से अपनी एक बिल्डिंग बना रखी है, जिसमे चमड़े का कारोबार होता था। अचानक 25 सालों में उसके पास इतना रुपया कहाँ से आ गया, इसकी भी जाँच होनी चाहिए।”

मंदिर गिराने का भी शक

कृष्णा तिवारी ने आगे बताया, “साल 2021 में कानपुर के चमनगंज में एक मंदिर अचानक ही गिर गया था। बात फैला दी गई कि मंदिर पुराना था और जर्जर होकर गिर गया। लेकिन कई लोगों का मानना है कि वो बाबा बिरयानी वाले मुख्तार की ही साजिश थी। कुछ लोग तो ये भी बताते हैं कि मंदिर में हल्का सा विस्फोट भी हुआ था।” कानपुर नगर के ही एक अन्य हिन्दू संगठन से जुड़े कार्यकर्ता प्रांजल राय का दावा है, “दंगे में बाबा बिरयानी वाले ने ही मुख्य तौर पर फंडिग की थी।”

महमूद उमर ने आरोपों को नकारा

ऑपइंडिया ने बाबा बिरयानी के मालिक मुख़्तार अहमद के बेटे महमूद उमर से बात की। महमूद ने बताया, “हम पर लगे तमाम आरोप गलत हैं। हम शहर के इज्जतदार लोग हैं। हम से अब तक इस हिंसा में किसी भी पुलिस वाले ने कोई बात नहीं की है। मेरे अब्बू आराम से घर पर हैं और मीडिया में चल रही खबरों से चिंतित हैं। जो कुछ भी चल रहा वो मीडिया में है। हमारे खिलाफ अगर किसी के पास कोई भी सबूत हो तो दिखाए। हमारा परिवार इन खबरों से परेशान है। ये असल में हमारे नाम को खराब करने की साजिश है। हम पर पहले भी मंदिर कब्ज़ा करने जैसे आरोप लगे थे जो बेबुनियाद हैं। कोर्ट से हमारे पास पक्के कागजात के साथ स्टे ऑर्डर भी है।”

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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