उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi, Uttar Pradesh) में स्थित ज्ञानवापी विवादित ढाँचे (Gyanvapi Controversial Structure) में तीन दिवसीय वीडियाग्राफिक सर्वे का काम सोमवार (16 मई 2022) को पूरा हो गया। सर्वे पूरा होने के बाद हिंदू पक्ष के चेहरे पर संतोष और उमंग के भाव नजर आए। जाहिर सी बात है कि जिस उम्मीद को लेकर और जिस खोज में वे वहाँ पहुँचे थे, उन्हें वहाँ दिखा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि ये तो ऊपरी तौर पर सर्वे था, वे अब 35 फीट ऊँचे मलबे की सर्वे की माँग भी करेंगे। उनका कहना है कि शायद उनमें उन्हें देवताओं की प्रतिमाएँ या काशी विश्वनाथ की असली ज्योतिर्लिंग मिल जाए।
सर्वे टीम में शामिल लोगों का कहना है कि संस्कृत श्लोक, दीया रखने की जगह, शिवलिंग, स्वास्तिक, प्राचीन शिलाएँ, कमल के फूल, मूर्तियाँ, सर्प, स्वान सहित तमाम तरह के साक्ष्य मिले हैं। उनका कहना है कि ये साक्ष्य विवादित ढाँचे के मंदिर होने के दावे को पुख्ता करेगा। इसके अलावा, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने परिसर के अंदर स्थित कुएँ में भी शिवलिंग मिला है। नंदी के सामने बने कुएँ में वाटर रेजिस्टेंस कैमरे डालकर वहाँ का सर्वे किया गया।
हिंदू पक्ष का कहना है कि उन्हें जो सबसे बड़ी चीज हासिल हुई है, वह है भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग। 12 फीट ऊँचा और 8 इंच के परिधि वाला यह शिवलिंग वजूखाने में मिला है। यह इस शिवलिंग की वास्तविक आकार के बारे में कोई भी स्पष्ट नहीं है। यह शिवलिंग कम से कम तीन फीट गहरा बताया जा रहा है। यहाँ एक तालाब को वजूखाने के रूप में इस्तेमाल किया करते हैं मुस्लिम। नमाज पढ़ने से पहले वे इसमें हाथ-पैर धोखे हैं और कुल्ला करते हैं। तालाब रूपी वजूखाने का जब पानी निकाला गया तो, यहाँ शिवलिंग निकलकर बाहर आ गया।
बताया जा रहा है कि सर्वे के दौरान जब तालाब से पानी निकाला गया और शिवलिंग प्रकट हुआ, तब हर-हर महादेव के नारे लगने लगे। लोग भाव-विह्वल होकर नाचने तक लगे। लोगों ने कहा कि जो नंदी बाहर सदियों से जिसकी प्रतीक्षा कर रहा है, उसे उसका बाबा मिल गए। बता दें कि शिव मंदिर के बाहर उनके वाहन नंदी वृषभ की मूर्ति लगी रहती है। काशी विश्वनाथ की इस मंदिर में भी नंदी की विशाल मूर्ति है, लेकिन मंदिर विध्वंस के बाद उसकी मस्जिद बना दी गई और उसके पश्चिमी दीवार के पास नंदी की मूर्ति आज भी वैसी ही है।
सर्वे टीम के सदस्य आरपी सिंह ने इंडिया टीवी को बताया, वहाँ मूर्तियाँ, कलश, मंदिर के ऊपर बने कलश आदि कई सारे सबूत मिले हैं। तहखानों के खंभों पर मूर्तियाँ मिली हैं। इन खंभों पर स्वास्तिक, ऊँ, कमल जैसे हिंदुओं के प्रतीक चिह्न मिले हैं। उन्होंने कहा कि ये चिह्न वहाँ इंच-इंच पर मौजूद है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मस्जिद के तीन गुंबद दिखते हैं, लेकिन वे गुंबद के ऊपर बने गुंबद हैं। मस्जिद के गुंबद के 6-7 फीट नीचे भी गुंबद है, जो शंकु के आकार के हैं, यानी मंदिर के गुंबद हैं। मस्जिद के गुंबद तक पहुँचने के लिए बेहद संकरी सीढ़ियाँ बनीं हैं और वहाँ झरोखे हैं। झरोखे से देखने पर मस्जिद के नीचे मंदिर की असली गुंबद दिखती है। टीम ने इनकी भी वीडियोग्राफी की है।
आरपी सिंह ने कहा कि विवादित ढाँचे में जहाँ नमाज पढ़ा जाता है, वहाँ ऊँ के निशान हैं, त्रिशूल के निशान हैं। संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि तहखाना पुराने हिंदू वास्तुकला के अनुसार पत्थरों पर बना है। वह अभी भी उतना ही मजबूत है, लेकिन जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुँचा हुआ दिख रहा है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति ने कहा कि ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में जिसे तहखाना बताया जा रहा है, वह असल में मंदिर मंडपम है। उन्होंने बताया कि जो शिवलिंग सामने आया है, वह हरा पन्ना का बना शिवलिंग है। इस शिवलिंग को राजा टोडरमल ने स्थापित करवाया था। डॉ. कुलपति ने बताया कि 90 के दशक में वाराणसी के तत्कालीन कलेक्टर सौरभचंद्र श्रीवास्तव ने जब तहखाने में ताला बंद कराया था तो उस समय भी अंदर की फोटोग्राफी हुई थी, जिसमें वह शामिल थे। उस समय उन्होंने देखा था कि अंदर नंदी के ठीक सामने ही शिवलिंग है।
दैनिक भास्कर के अनुसार, साल 1868 में रेव एमए शेरिंग द्वारा लिखित ‘द सेक्रेड सिटी ऑफ हिंदू’ किताब में ज्ञानवापी विवादित ढाँचे नीचे चारों कोनों पर मंडपम की बात कही गई है। इनके नाम हैं- ज्ञान मंडपम, श्रृंगार मंडपम, ऐश्वर्य मंडपम और मुक्ति मंडपम। वहीं, लेखक अल्टेयर ने इन मंडपम की साइज 16-16 फीट और गोलंबर की ऊँचाई 128 फीट बताई है।