केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 अगस्त 2022) को केरल के एक इलाके में नई मस्जिद बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि राज्य में पहले से ही कई मजहबी स्थल हैं जो कि राज्य की जनसंख्या के अनुपात से बहुत अधिक हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल हाईकोर्ट में नुरुल इस्लाम संस्कारिका संगम द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस याचिका में एक व्यावसायिक बिल्डिंग को मस्जिद में बदलने की माँग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि यहाँ मस्जिद बनने के बाद इसके आसपास के मुसलमान दिन में पाँच बार नमाज अदा करने के लिए मस्जिद पहुँच सकेंगे।
इससे पहले कलेक्टर ने इस मामले की जाँच करते हुए इस माँग को निरस्त कर दिया था। क्योंकि, जाँच में यह पाया गया था कि जिस बिल्डिंग की जगह मस्जिद बनाने की बात कही जा रही थी उसके आसपास के 5 किलोमीटर क्षेत्र में 36 मस्जिदें थीं।
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यहाँ की भौगोलिक स्थिति के कारण केरल राज्य को ‘भगवान का अपना देश’ कहा जाता है और यह धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है।
“Because of the peculiar geographical situation of #Kerala, it is known as ‘God’s own country’. But we are exhausted with religious places and prayer halls and we are not in a position to allow any new religious places and prayer halls except in the rarest of rare cases”:HC
— Live Law (@LiveLawIndia) August 26, 2022
हाईकोर्ट की ओर से कहा गया, “केरल में धार्मिक संस्थानों और प्रार्थना कक्षों की संख्या पर्याप्त है। यदि हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, पारसी आदि का प्रत्येक भक्त अपने निवास के पास धार्मिक स्थान और प्रार्थना कक्ष बनाना शुरू कर देता है, तो राज्य को सांप्रदायिक विद्वेष सहित गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ेगा।”
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने यह भी कहा, “इस मामले में खुफिया रिपोर्ट और पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि व्यावसायिक बिल्डिंग को धार्मिक प्रार्थना कक्ष में बदलने की अनुमति दी जाती है, तो सांप्रदायिक विद्वेष की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है।”
कुरान में नहीं लिखा हर नुक्कड़ पर मस्जिद हो: केरल हाईकोर्ट
यही नहीं, जस्टिस ने कुरान का भी जिक्र किया और कहा कि कुरान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि इलाके के हर नुक्कड़ पर मुस्लिम समुदाय के लिए एक मस्जिद होनी चाहिए।
केरल हाईकोर्ट ने कहा, “कुरान की आयतें मुस्लिम समुदाय के लिए मस्जिद के महत्व को स्पष्ट रूप से उजागर करती हैं। लेकिन कुरान की आयतों में यह नहीं कहा गया है कि मस्जिद हर नुक्कड़ पर जरूरी है। हदीस या कुरान में यह नहीं कहा गया है कि मस्जिद हर मुस्लिम के घर के बगल में होनी चाहिए। दूरी कोई मापदंड नहीं है।”
सुनवाई में यह भी कहा गया, “यह सच है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 (अ) में कहा गया है कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन, प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए धार्मिक स्थान बनाने का अधिकार होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि वे देश के कोने-कोने में धार्मिक स्थलों का निर्माण कर सकते हैं। केरल एक बहुत छोटा राज्य है।”
न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने दिवंगत प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय वायलार रामवर्मा के एक फिल्मी गाने का भी हवाला दिया। इस गाने में यह बताया गया है कि कैसे मनुष्य ने धर्मों का निर्माण किया, धर्मों ने ईश्वर का निर्माण किया फिर धर्मों और ईश्वर ने दुनिया और मानवता को विभाजित किया।
सुनवाई के दौरान फैसला देते हुए जस्टिस ने कहा “नागरिकों को एक-दूसरे से प्यार करने दें और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने धार्मिक प्रथाओं का पालन करें। हर कोई धर्म का पालन अपने घर से कर सकता है और यदि उनके धर्म में यह कहा गया है कि प्रार्थना एक साथ की जानी चाहिए। ऐसे में वे अपने पड़ोस में एक और मस्जिद या प्रार्थना कक्ष बनाने की जगह पास की किसी मस्जिद में जा सकते हैं।”