पूरी दुनिया में रविवार (अक्टूबर 10, 2021) को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। इस मौके पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने माना कि राज्य की कुल आबादी का लगभग 12.8 फीसदी लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हैं, जिन्हें उपचार की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इनमें से सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को ही वैज्ञानिक उपचार मिल रहा है। उन्होंने केरल शास्त्र साहित्य परिषद, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी और तिरुवनंतपुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मनोचिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन संगोष्ठी के दौरान यह टिप्पणी की।
12.8 pc population in Kerala have mental health issues, says state health minister
— ANI Digital (@ani_digital) October 10, 2021
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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आँकड़े देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लोग उपचार केंद्रों और चिकित्सा सुविधाओं तक नहीं पहुँच रहे हैं, क्योंकि वे ऐसी सुविधाओं से अनजान हैं। वीना जॉर्ज ने कहा कि राज्य में ज्यादातर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की सही समझ नहीं है और इसलिए वे इसका इलाज नहीं करा पा रहे हैं।
उन्होंने ANI से कहा, “इस संदर्भ में यह आवश्यक है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता से संबंधित गतिविधियों को तेज किया जाए। स्वास्थ्य विभाग सभी के सहयोग से इस मिशन को सक्रियता से चला रहा है। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी बहुत जरूरी है। सभी को बीमारियों की पहचान करने और समय पर इलाज कराने पर ध्यान देने की जरूरत है।”
कोविड के बाद मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “विशेष रूप से कोविड के बाद लोग विभिन्न कारणों से तनाव में हैं, चाहे वह वित्तीय हो या अन्य। साथ ही पढ़ाई समेत सब कुछ ऑनलाइन माध्यमों मे बदल रहा है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” यहाँ उल्लेखनीय है कि केरल कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक रहा है। भारत में कुल सक्रिय मामलों में लगभग 50% केरल से ही रहा है।
देश में महाराष्ट्र के बाद केरल में सबसे अधिक कुल कोविड मामले हैं। केरल में 47,94,800 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 1,11,147 वर्तमान में सक्रिय मामले हैं। केरल में 26,000 से अधिक लोग कोरोना वायरस से अपनी जान गँवा चुके हैं। केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ अधिकांश राज्यों द्वारा महामारी पर नियंत्रण पाने के बाद भी लगातार 10,000 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं।