कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार (अक्टूबर 14, 2021) को दमदम पार्क भारत चक्र पूजा कमेटी के एक दुर्गा पूजा पंडाल में जूतों के कथित प्रदर्शन के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर एक्शन लेने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि पूजा पंडाल में जूते प्रदर्शित करके देवी दुर्गा का अनादर हुआ है। वहीं राज्य की ओर से पेश वकील ने बताया कि पुलिस इस पर एफआईआर दर्ज कर चुकी है।
याचिका में ये भी कहा गया कि याचिकाकर्ता खुद पंडाल नहीं गया। लेकिन इस प्रकार जूतों के प्रदर्शन से बंगाल के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची है। शांतनु सिंघा द्वारा दायर याचिका पर न्यायमूर्ति कौशिक चंद द्वारा सुनवाई की गई। जहाँ राज्य और अन्य प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए वकील एस एन मुखर्जी ने दलील दी कि संबंधित पंडाल के विषयगत भाग पर जूते दिखाए गए जिसे किसानों ने विरोध के रूप में सजाया था।
मुखर्जी ने कहा कि गर्भग्रह में किसी भी जूते का प्रदर्शन नहीं हुआ। इसके अलावा जहाँ देवी की पूजा हो रही थी उससे भी ये थीमेटिक पार्ट 11 फीट दूरी पर था। अंत में इस मामले में अदालत को यह भी जानकारी दी गई कि उक्त क्लब द्वारा जूते के कथित प्रदर्शन के लिए लेक टाउन पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 153A/506/34 के तहत एक शिकायत पहले ही दर्ज हो चुकी है।
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद जस्टिस कौशिक चंद ने गुरुवार (अक्टूबर 14, 2021) को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दमदम पार्क भारत चक्र के खिलाफ दर्ज मामले में फिलहाल अदालत दखल नहीं देगा। उन्होंने कहा कि वादी द्वारा प्रस्तुत सोशल मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कोर्ट कोई कार्रवाई नहीं करेगा। 25 अक्टूबर को पुलिस अपनी रिपोर्ट देगी, उसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा।
न्यायाधीश कौशिक चंद ने सुनवाई के दौरान ये सवाल भी किया कि आखिर पूजा की थीम ‘धान नहीं देंगे, मान नहीं देंगे’ में जूते इससे कैसे संबंधित हैं? इसपर एडवोकेट जनरल मुखर्जी ने कहा कि जलियाँवाला बाग से शुरू होकर जहाँ भी जन आंदोलन पर हमला हुआ, वहाँ लड़ाई के बाद ढेर सारे जूते गिरे नजर आए।
आगे उन्होंने यूपी का हवाला दिया और कहा कि वहाँ जब किसानों पर हमले हो रहे थे तो मरने वाले किसानों के जूते नजर आए थे, इसलिए इस थीम में जूतों का प्रदर्शन हुआ। उन्होंने कोर्ट को बताया किया कि मंडप के दो भाग हैं- पहला भाग में केवल मंडप है और दूसरे भाग थीमेटिक है। थीम के साथ माँ के मंडप की दूरी 11 फीट है, तो माँ के मंडप का अपमान करने का तर्क किसी भी तरह साबित नहीं होता है।