मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष को महिला डॉक्टर की रेप-हत्या की जानकारी सुबह 9:58 मिनट पर हो गई थी लेकिन उन्होंने सारी सूचना होने के बावजूद मामले में शिकायत नहीं दी। उन्होंने वकील से बात करके इस मामले को दबाने का प्रयास किया। हालाँकि बाद में वाइस प्रिंसिंपल ने केस दर्ज कराया। छानबीन में ये भी सामने कि संदीप घोष और मंडल घटना के बाद सुबह 10:03 से संपर्क में थे, मगर दोनों ने कोई एक्शन नहीं लिया।
बताया जा रहा है कि ताला पुलिस थाने और आरजी कर अस्पताल के बीच 10 मिनट की दूरी है, फिर भी मंडल ने अस्पताल पहुँचने में देर की। ये भी पता चला है कि मंडल इस केस के मुख्य आरोपित संजय रॉय को बचाने की पूरी कोशिश की थी। उसने जानबूझकर एफआईआर दर्ज कराने में देर की थी। इसके अलावा उसने प्रमाणों को सील करते समय कोई वीडियोग्राफी भी नहीं कराई। उसने जल्दी-जल्दी में डॉक्टर के शव का अंतिम संस्कार कराया। इसके अलावा संजय रॉय के कपड़े बरामद करने में भी दो दिन का समय लिया। जाँच एजेंसियों का मानना है कि ये सब सिर्फ और सिर्फ इसलिए किया गया ताकि मामले से रेप-मर्डर के एंगल को हटाया जा सके।
गौरतलब है कि अब तक इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार हो चुके हैं- संजय रॉय, संदीप घोष और अभिजीत मंडल। वहीं डॉक्टर प्रदर्शनकारी अब भी अपनी साथी को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे बात करना चाहती हैं ताकि मामले को सुलझा सकें लेकिन डॉक्टर मिलने को तैयार नहीं हो रहे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर बातचीत करने को कहा है। इससे पहले वो खुद प्रदर्शनकारियों के बीच गई थीं। उन्होंने डॉक्टरों से कहा था कि अगर सब अपने काम पर लौट जाएँगे तो वो किसी पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगी।