अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर में 22 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा हुई। अंतराष्ट्रीय स्तर पर गूँजे इस आयोजन के बाद अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। ज्यादा से ज्यादा रामभक्त रामलला के दर्शन करने के लिए तीर्थनगरी पहुँच रहे हैं। ऑपइंडिया ने अपनी पिछली ग्राउंड रिपोर्टों में मणि पर्वत, गणेश कुंड और दशरथ समाधि के आसपास दरगाहें बनने का खुलासा किया था। इसी कड़ी में जब हमने और पड़ताल की तो हमें अयोध्या नगरी के अंतर्गत आने वाले अन्य हिस्सों में भी कई मजारें बनाई हुई मिलीं।
साकेत डिग्री कॉलेज से सटाकर बनी मजार
अयोध्या में साकेत महाविद्यालय उच्च शिक्षा का सबसे बड़ा संस्थान माना जाता है। यहाँ रेग्युलर और प्राइवेट तौर पर 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राएँ विभिन्न विषयों में स्नातक और परास्नातक की शिक्षा लेते हैं। यह जगह जन्मभूमि की बॉउंड्री से 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। इस डिग्री कॉलेज की बॉउंड्री से सटे बगीचे हैं।
इन्हीं बगीचों को साफ़ करके रानोपाली की तरफ जा रही मुख्य सड़क के ठीक बगल में एक मजार बना दी गई है। इस मजार को पक्का भी कर दिया गया है। बाकायदा रंग-रोशन किया गया है और आसपास की जमीन को भी अनवरत साफ किया जा रहा है। साफ़-सफाई की आड़ में मजार का क्षेत्र बढ़ाया जा रहा है।
एक ही साथ 2 छोटी-छोटी मजारें यहाँ पक्के चबूतरे पर बनी हुईं हैं। मजार पर सुबह-सुबह हरे रंग की चादरपोशी की जाती है। अगरबत्ती आदि भी सुलगा दी जाती है। यहाँ इस्लामी झंडे भी गाड़े गए हैं। फ़िलहाल इस मजार का कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है। मजार से ठीक बगल में पंचर बनाने की एक दुकान खोली गई है। जब ऑपइंडिया की टीम मजार पर पहुँची तो वहाँ का खादिम और पंचर वाला मौके से खिसक गया।
जिन्न के डर से नहीं तोड़ी जंक्शन से सटी मजार
जब ऑपइंडिया की टीम मणि पर्वत के अंदर गई, तब वहाँ के पुजारी ने प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ काफी गुस्से में दिखे। उन्होंने कहा कि नवनिर्माण के नाम पर तमाम स्थानों पर तोड़फोड़ की गई, लेकिन मजारों और दरगाहों को छोड़ दिया गया।
पुजारी ने अयोध्या धाम जंक्शन से सटी एक मजार अभी भी होने का दावा किया। उन्होंने कहा, “जब लोगों ने अधिकारियों से मजार पर भी कार्रवाई करने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब में कहा कि उन्हें जिन्न से डर लगता है।” पुजारी ने आगे कहा, “हिन्दू ही हिन्दू का दुश्मन है।”
आसपास सब साफ़ लेकिन छोड़ दी गई मजार
मणि पर्वत के पुजारी के आरोपों की तस्दीक करने हम अयोध्या धाम जंक्शन पर गए। हमने पाया कि जंक्शन के दक्षिणी हिस्से पर सफेद रंग की एक बड़ी-सी मजार है। इस मजार के आसपास के निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया है, लेकिन मजार छोड़ दी गई है। यह मजार लोगों के आने-जाने वाले एक पतले से रास्ते से सटाकर बनाई गई है।
मजार के नीचे कोई प्राचीन निर्माण जैसा भी कुछ दिखा। ऊपर सीमेंट का नया निर्माण और हाल ही में रंग-रोशन हुआ है। हमने आसपास के निवासियों से इस मजार के बारे में जानने का प्रयास किया। जंक्शन के दक्षिणी हिस्से में चाय-बिस्किट बेचने वाले एक दुकानदार ने हमें बताया कि वह मजार बाबा लाल खाँ के नाम से जानी जाती है।
मजार काफी समय पहले से बनी है, जिस पर पहले भी किसी विकास कार्य आदि को लेकर की गई कार्रवाई में इसे छोड़ दिया गया था। अयोध्या धाम जंक्शन के पिछले हिस्से के अलावा सामने के भाग में भी एक बड़ी दरगाह बनी हुई है। ऊँचे गुंबद वाली इस दरगाह के बाहरी हिस्से में अरबी भाषा में कुछ शब्द लिखे गए हैं।
इस दरगाह के बाहरी हिस्से में एक नल भी लगा दिया गया है, जिससे निकला पानी आसपास गंदगी की वजह बन गया है। दरगाह के पास खजूर के पेड़ भी लगाए गए हैं। गुंबद को हाल ही में हरे रंग से रंगा गया है और इसके ऊपर इस्लामी झंडा लगाया गया है। टाइल्स में भी मक्का-मदीना आदि की तस्वीरें उकेरी गई हैं।
जंगल सब कब्जा है
मणि पर्वत की सीढ़ियों पर हमें एक भिखारी मिला। वह आने-जाने वाले श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान पर आश्रित है। हमने उससे पूछा कि आसपास कितनी मजारें हैं? हमारे सवाल के जवाब में उसने कहा, “पीछे के सारा जंगल कब्ज़े में है। जमाने से इस पर कब्ज़ा है।”
जब हम विद्याकुंड से निकल कर रानोपाली जाने वाली सड़क पर आगे बढ़े, तब हमें सड़क के दाईं तरफ एक लाइन से पक्की कब्रें दिखाई दीं। इनमें से तो कई मुख्य सड़क से काफी करीब बनी हुई हैं। हमें स्थानीय निवासियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अगर प्रशासन गहनता से जाँच करवाएगा तो रामजन्मभूमि से 2 किलोमीटर परिधि में दर्जनों मजारें और मिलेंगी।