लोहरदगा में सीएए के समर्थन में हुई रैली में 15 से 20 हज़ार लोग शामिल थे, फिर भी मुस्लिम मोहल्ले में जुलूस के पहुँचते ही इतनी तेज़ पत्थरबाजी हुई कि लोगों में भगदड़ मच गई। इस सम्बन्ध में एक विस्तृत रिपोर्ट के जरिए हम पहले ही बता चुके हैं कि कैसे पूर्व-नियोजित तरीके से दूसरे मजहब के लोगों ने अपने घरों की छतों पर ईंट-पत्थर इकट्ठा कर के रखे हुए थे। मुस्लिम मोहल्ले में पहुँचते ही नारा-ए-तकबीर के साथ जुलूस का स्वागत किया गया और मुस्लिमों की भीड़ उन पर टूट पड़ी। हालाँकि, रैली विश्व हिन्दू परिषद् के बैनर तले निकाली जा रही थी लेकिन इसमें ज्यादातर आम नागरिक शामिल थे, जिनका ताल्लुक किसी संगठन से नहीं रहा है।
ऑपइंडिया ने इस सम्बन्ध में वहाँ उपस्थित कुछ प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की, जो उस रैली में शुरू से अंत तक शामिल थे। डर का आलम ये है कि कोई भी अपना नाम सार्वजनिक करने को तैयार नहीं है क्योंकि इससे उसकी जान को ख़तरा हो सकता है। राज्य में झामुमो व कॉन्ग्रेस की सरकार है, जो मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए जानी जाती है। ऐसे में, आम लोग जाएँ तो जाएँ कहाँ? एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि जब वो स्थानीय विधायक व राज्य में कैबिनेट मंत्री रामेश्वर उराँव के पास शिकायत लेकर गए तो उन्होंने कहा कि रैली में शामिल लोगों के उकसाने के कारण पत्थरबाजी हुई।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाषण से भड़क कर मोहल्ले के मुस्लिमों ने तुरंत भारी संख्या में न सिर्फ़ ईंट-पत्थर का इंतजाम कर लिया बल्कि उन्हें उठा कर अपनी छतों पर भी ले गए? जाहिर है, विधायक का बयान ग़लत है। जब ऑपइंडिया ने विधायक से संपर्क किया तो रामेश्वर उराँव ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। पुलिस से रिटायर होकर राजनीति में आए उराँव इस बात से हतप्रभ हैं कि आख़िर सीएए के समर्थन में रैली निकाली ही क्यों जा रही है? विधायक को जनता की अभिव्यक्ति की आज़ादी से कोई मतलब नहीं।
कॉन्ग्रेस नेता उराँव ने कहा कि उन्हें कुछ नहीं मालूम कि किसने पत्थरबाजी की। उन्होंने कहा कि आज तक सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ लोग सड़क पर उतरते रहे हैं, ऐसा पहली बार हो रहा है जब सरकार के समर्थन में रैली हो रही हो। उन्होंने अपना पूरा गुस्सा सीएए के समर्थन में हुई रैली पर ही निकाला। प्रत्यक्षदर्शी ने ऑपइंडिया को बताया कि मुस्लिमों ने एक आदिवासी लड़के को मार-मार कर अधमरा कर दिया। स्थिति ये थी कि आम लोगों सहित कुछ पुलिसकर्मियों ने भी स्थानीय शिव मंदिर में छिप कर अपनी जान बचाई। एसपी तक को खदेड़ दिया गया।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पत्थरबाजी करने वालों में अधिकतर महिलाएँ और बच्चे शामिल थे, जो छत से पत्थर फेंक रहे थे। मस्जिद की छत पर बड़ी संख्या में ईंट-पत्थर जमा कर के रखे गए थे, जो दिखाता है कि रैली को रोकने के लिए पहले से ही साज़िश रच ली गई थी। ऑपइंडिया ने विश्व हिन्दू परिषद् विनोद बंसल से संपर्क किया तो और भी चौंकाने वाली बात पता चली। उन्होंने बताया कि मस्जिद के साथ-साथ स्थानीय कॉन्ग्रेस दफ्तर से भी जम कर पत्थरबाजी हुई। तो क्या कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता भी मुस्लिमों के साथ इस साज़िश में शामिल थे? बंसल का जवाब हाँ में आया। विनोद बंसल के बयान के जवाब में हमें झारखण्ड कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उराँव ने दावा किया कि कॉन्ग्रेस दफ्तर में कोई था ही नहीं तो पत्थर कौन चलाएगा?
Now it was the turn of supporters of CAA n NRC. On 23jan, people gathered and started rallying. Pic -1
— Utkarsh Burman (@Utkarshburman) January 24, 2020
But the other community had other plans pic -2
Things to note – for a crowd of 15000, only 10-15 guards were provided for the security.@UnSubtleDesi @pokershash@erbmjha pic.twitter.com/SIiEIH2lNb
बकौल उराँव, उलटा कॉन्ग्रेस के ही कुछ पदाधिकारियों को चोटें आई हैं। यह जानने के लिए हमने संगठन और नेताओं से बात की। स्थानीय मध्य विद्यालय के आसपास के कई ऐसे माता-पिता से भी हमने बातचीत की, जो अपने बच्चे को फिर से स्कूल नहीं भेजना चाहते। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि उसके घर के बच्चे भी मध्य विद्यालय में जाते हैं लेकिन अब उन्हें मुस्लिम बच्चों को देख कर डर लगता है। बच्चों को पढ़ाने की बजाय पत्थरबाजी सिखाई जा रही है। ऑपइंडिया ने इसके बाद बजरंग दल के झारखण्ड के प्रदेश संयोजक दीपक ठाकुर से बातचीत की।
दीपक ठाकुर ने मध्य विद्यालय में पैरेंट्स द्वारा डर से अपने बच्चों को न भेजने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। ठाकुर ख़ुद उस रैली में मौजूद थे, जहाँ ये घटना हुई। उन्हें क़रीब 300 की संख्या में समुदाय विशेष के लोगों ने घेर रखा था और उन्हें निशाना बना कर पेट्रोल बम फेंके गए। उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि दंगाई मुस्लिमों ने गोलियाँ भी चलाईं। मुस्लिम महिलाएँ छत पर से ही मिर्ची पाउडर फेंक रही थीं। दंगाई भीड़ ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगा रही थी।
कई हिंदुओं की दुकानों को जला दिया गया। एक साउंड सिस्टम की दुकान जला दिया गया। एक व्यक्ति की कपड़े की दुकान जला दी गई। अभी और भी ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं, जिनका झारखण्ड में सरकार बदलने से सीधा सम्बन्ध है। इस सम्बन्ध में ऑपइंडिया की छानबीन चालू है और जल्द ही हम नई रिपोर्ट लेकर आएँगे।
आख़िर इतना डर का माहौल क्यों है? लोग सच बोलते हुए अपना नाम सामने लाने से डर क्यों रहे हैं? दीपक ठाकुर बताते हैं कि कॉन्ग्रेस की सरकार होने के कारण लोगों को डर है कि पुलिस उलटा उन पर ही कार्रवाई न कर दे। सरकार बदल चुकी है और मीडिया भी बदले-बदले रूप में नज़र आ रहा है। स्थानीय अख़बार भी पूरी बात लिखने से डर रहे हैं। अब देखना ये है कि पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और दोषियों को कब पकड़ा जाता है।
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