देशभर में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर विरोध-प्रदर्शन की आड़ में हिंसक दंगे हो रहे हैं। इस दौरान, न सिर्फ़ आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा बल्कि जान लेने पर उतारू दंगाइयों ने पुलिस और मीडियोकर्मियों को भी अपना निशाना बनाया। कई जगहोंं से ऐसी हिंसक ख़बरें आई जहाँ पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाज़ी, आगज़नी और तेज़ाब से भरी बोतलें उनके ऊपर फेंकी गई।
इस बीच, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा लिया गया एक फ़ैसला सुर्ख़ियों में छाया हुआ है। दरअसल, राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में CAA को जोड़ने का फ़ैसला लिया गया है। राजनीति विज्ञान की एचओडी शशि शुक्ला ने बताया कि राजनीति विज्ञान विषय के कोर्स में हम CAA के बारे में भी पढ़ाएँगे। यह इस समय का सबसे महत्वपूर्ण विषय है और इसलिए इसका अध्ययन किया जाना चाहिए। इसमें पढ़ाया जाएगा कि क्या, क्यों, कैसे नागरिकता संसोधन क़ानून में संशोधन किया गया।
Lucknow University to include #CAA as a topic. Shashi Shukla, HOD, Political Science says, “Under political science subject, we will introduce CAA. This is the most important topic right now&so it should be studied.Topic will include what,why,how citizenship law was amended” pic.twitter.com/SXJ3RkhBl3
— ANI UP (@ANINewsUP) January 24, 2020
लखनऊ विश्वविद्यालय के इस फ़ैसले से अब एक नई बहस शुरू हो गई है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मामला कोर्ट में है तो इसे कोर्स में शामिल क्यों किया जा रहा है?
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, “सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत और अनुचित है। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है और यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।”
सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2020
इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रही विपक्षी पार्टियों को स्पष्ट सन्देश दे दिया था कि सरकार इस पर पीछे नहीं हटेगी। शाह ने कहा कि चाहे कॉन्ग्रेस व अन्य CAA विरोधी पार्टियाँ कितना भी विरोध प्रदर्शन कर लें, पाकिस्तान से आए एक-एक शरणार्थी को नागरिकता दिए बिना भाजपा सरकार चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा था कि भारत पर यहाँ के लोगों का उतना ही हक़ है, जितना पाकिस्तान से प्रताड़ना झेल कर आए शरणार्थियों का।
ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार ने पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के तीन पड़ोसी देशों से छ: ग़ैर-मुस्लिम धर्म से संबंधित उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) संसद में पारित किया था।
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