सुदर्शन टीवी के शो ‘यूपीएससी जिहाद’ का मामला इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में गरमाया हुआ है। ऐसे में मधु पूर्णिमा किश्वर ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इसकी जानकारी उन्होंने अपने ट्विटर पर भी दी है।
उन्होंने बताया है कि कोर्ट में उनके बयान का गलत अनुवाद करके उसे हेट स्पीच के सबूत की तरह पेश किया गया। उनकी याचिका बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट पर भी आधारित है। यह याचिका कोर्ट में वकील रवि शर्मा की ओर से डाली गई है।
I’ve filed Intervention petition in SC in @SudarshanNewsTV case since a shoddy translation of small snippets of my comments on #UPSCJihad during sudershan tv debate hv been mischeviously presented in SC as evidence of #HateSpeech @timesofindia @IndianExpress @PTI_News @the_hindu
— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) September 22, 2020
अपने ट्विटर पर मधु पूर्णिमा किश्वर लिखती हैं, “सुदर्शन टीवी के शो यूपीएससी जिहाद में डिबेट के दौरान मेरी टिप्पणी के छोटे से हिस्सा का बेहूदा अनुवाद करके, कोर्ट में हेटस्पीच के सबूत के तौर पर पेश किए जाने के बाद मैंने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है।”
Advocate Ravi Sharma is representing me in court https://t.co/gr9IAOBWeL
— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) September 22, 2020
गौरतलब है कि इससे पहले 15 सितंबर को ‘यूपीएससी जिहाद’ शो के टेलीकास्ट के बाद वकील फिरोज इकबाल खान ने मधु पूर्णिमा किश्वर और शांतनु गुप्ता की टिप्पणी का हवाला दिया था। इसके बाद कोर्ट ने बिंदास बोल शो के शेष एपिसोड के प्रसारण पर रोक लगा दी।
Madhu Kishwar files intervention application in plea challenging @SudarshanNewsTV ‘s #BindasBol show on #UPSC_Jihad
— Bar & Bench (@barandbench) September 22, 2020
She says petitioner relied on her statements made to @SureshChavhanke & that she should not be forced to “compromise her constitutional rights” @madhukishwar pic.twitter.com/cY8nCDUR6d
इकबाल ने अपनी याचिका में दावा किया था कि किश्वर ने शो में कहा, “कोर्ट ने खुद ही अपने ऊपर सवाल खड़ा कर लिया है। उन्हें लगता है कि गज़वा-ए-हिंद के मिशन को पूरा करना उनका अधिकार है। वे इसे अपना अधिकार मानते हैं। वे समझते हैं कि पूरे राष्ट्र को कन्वर्ट किया जाना चाहिए। वे घुसपैठ करके सार्वजनिक कार्यालयों पर कब्जा करना चाहते हैं। उन्होंने पहले दिन से शिक्षा मंत्रालय में घुसपैठ की है।”
Madhu Kishwar files intervention application in plea challenging @SudarshanNewsTV ‘s #BindasBol show on #UPSC_Jihad
— Bar & Bench (@barandbench) September 22, 2020
She says petitioner relied on her statements made to @SureshChavhanke & that she should not be forced to “compromise her constitutional rights” @madhukishwar pic.twitter.com/cY8nCDUR6d
अपनी ‘हस्तक्षेप याचिका’ में किश्वर ने कहा है कि उन्हें सुरेश चव्हाणके को दिए अपने बयान पर पूरा भरोसा है और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से समझौता करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। किश्वर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सुदर्शन टीवी के शो में सरकार को बायपास करने की कोशिश है, क्योंकि सरकार ही फ्री स्पीच पॉलिसी निर्धारित करने के लिए फाइनल अथॉरिटी है।
इस पत्र में सामाजिक कार्यकर्ता ने याचिकाकर्ता पर यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके (किश्वर के) बयानों को गलत तरह से पेश किया। इस आवेदन में उन्होंने लिखा कि वह सेकुलरिज्म में विश्वास करती हैं। उनका कहना है कि हर इंसान की जन्मजात स्वतंत्रता वास्तव में अपना रास्ता और उद्देश्य खोजने की होती है।
गौरतलब है कि इससे पहले सुदर्शन न्यूज केस में ऑपइंडिया, इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट और अपवर्ड ने ‘इंटरवेंशन एप्लीकेशन’ (हस्तक्षेप याचिका) दायर की थी। ‘फ़िरोज़ इक़बाल खान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में अनुमति-योग्य फ्री स्पीच को लेकर रिट पेटिशन दायर की गई थी।
‘हस्तक्षेप याचिका’ में कहा गया था, “सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचार के लिए जो मुद्दे आए हैं, जाहिर है कि उसके परिणामस्वरूप फ्री स्पीच की पैरवी करने वालों पर प्रकट प्रभाव पड़ेगा। साथ ही ऐसी संस्थाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, जो जनता के लिए सार्वजनिक कंटेंट्स का प्रसारण करते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता की ओर से ये निवेदन है कि इन्हें भी इस मामले में एक पक्ष बनाया जाए। इस प्रक्रिया में एक पक्ष बना कर भाग लेने की अनुमति दी जाए।”
यहाँ बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप चौधरी, महेश जेठमलानी और अधिवक्ता गौतम भाटिया और शाहरुख आलम भी इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए उपस्थित हो चुके हैं। अब इस मामले को आज यानी 23 सितंबर को दोपहर 2 बजे उठाया जाएगा।
गौरतलब है सुदर्शन न्यूज के ‘बिंदास बोल’ शो पर 15 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रथम दृष्टया अवलोकन करने के बाद शो के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और केएम जोसेफ की एक पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके द्वारा होस्ट किया गया शो ‘बिंदास बोल’ सिविल सेवाओं में समुदाय विशेष के प्रवेश को सांप्रदायिक रूप दे रहा था।
वहीं, जामिया छात्रों की ओर से कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट शादान फरासत ने कहा था, “यह सुनिश्चित करना राज्य की सकारात्मक ज़िम्मेदारी है कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 से निकले अधिकारों का एक नागरिक के लिए उल्लंघन न हो। अगर उनका उल्लंघन किया जाता है, तो क्या सुप्रीम कोर्ट चुपचाप देखता रहेगा?” उन्होंने तर्क दिया था कि ‘हेट स्पीच’ कानून मौजूदा मामले में लागू होता है, शो की भाषा और भंगिमा के कारण शेष कड़ियों की टेलीकास्टिंग पर रोक लगाने के लिए ठोस मामला बनाता है।