मध्य प्रदेश के इंदौर के बाद कब्रिस्तान में दफन होने वाले शवों की संख्या ने महाराष्ट्र के मालेगाँव की स्थिति पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से लेकर अब तक यहाँ कोविड-19 के कारण मरने वाले केवल 12 लोग हैं। मगर, शहर में हुई मौतों की संख्या पिछले साल के आँकड़ों और पिछले महीने के आँकड़ों से कहीं ज्यादा हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में पेश किए गए आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल में मालेगाँव में कुल 580 मौतें हुई हैं। जबकि पिछले साल इसी महीने में केवल 277 मौतें हुई थीं। इसके अलावा इस साल के मार्च में भी ये संख्या 314 थी। अब इस ग्राफ में औचक बढ़ोतरी देखकर संदेह जताया जा रहा है कि कोरोना काल में इस प्रकार की वृद्धि दर्शाती है कि इनमें से कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव भी हो सकते थे।
इससे पहले, अप्रैल महीने में स्वास्थ्य विभाग ने भी मालेगाँव पर अपना संदेह प्रकट किया था। उस समय तक कोविड-19 से केवल 8 मौतें हुईं थी। तब स्वास्थ्य विभाग ने बताया था कि मालेगाँव में इस महीने सिर्फ 8 लोगों की मौत कोरोना से हुई है। लेकिन अन्य कारणों से हुई 221 मौतों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बड़ा कब्रिस्तान का सालाना औसत भी रोज 7-8 जनाजों का है। ऐसे में 10 अप्रैल के बाद जनाजों में बढ़ोतरी सवालों के घेरे में है।
बता दें कि मालेगाँव में कोरोना के पहले मरीज की शिनाख्त 8 अप्रैल को हुई थी। इसके बाद यहाँ करीब 229 केस आए और रविवार तक यहाँ 12 मौतें हुईं। अधिकारियों की मानें तो नगर में 27 अप्रैल के बाद कोई मृत्यु कोरोना के कारण नहीं हुई है। लेकिन, एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि बड़ा कब्रिस्तान में करीब 2 घंटे में 9 शवों को लाते देखा गया।
मालेगाँव में अनुमानित तौर पर 79% आबादी मुस्लिमों की है। यहाँ कब्रिस्तान के एडमिनिस्ट्रेटर रईस अहमद अंसारी, इस संबंध में कहते हैं कि आम दिनों में यहाँ केवल 6 से 7 शव दफनाने के लिए लाए जाते थे। मगर, पिछले तीन दिनों में उन्होंने 30 शवों को दफनाया है। खबर की मानें तो पिछले साल अप्रैल में शवों को दफनाने की संख्या जहाँ केवल 140 गिनी गई थी, वहीं इस अप्रैल में ये आँकड़ा 457 पहुँच गया है।
कुछ अधिकारियों ने इस स्थिति के लिए लॉकडाउन में बंद हुए निजी अस्पतालों को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही निर्णय लिया है कि वे शहर में 10 अप्रैल के बाद मरने वाले सभी लोगों के परिवार वालों का रैंडम टेस्ट करेंगे। इसके अलावा मालेगाँव के स्वास्थ्य अधिकारी गोविंद चौधरी ने कहा, “हमें अभी भी यह अध्ययन करना है कि क्या कुछ मौतें कोविड-19 की वजह से हुईं, जिन्हें रिपोर्ट नहीं किया गया।”
वहीं आईएएस पंकज आशिया का कहना है, “यहाँ अप्रैल में जो मौतों में वृद्धि हुई है, उसके बारे में बिना गहन अध्ययन के कहना मुश्किल होगा कि इनमें से कुछ मौतें कोविड-19 के कारण हुईं। हमने उन सभी के परिवार के सदस्यों का औचक ढंग से परीक्षण करने का निर्णय लिया है, जिनकी मृत्यु 10 अप्रैल को हुई है ताकि यह जाँचा जा सके कि क्या उनमें से किसी को संक्रमण है।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पिछले महीने की शुरुआत में ऐसा संदेह इंदौर में दफन होते शवों को लेकर लगाया गया था। तब वहाँ मात्र एक हफ्ते में मुस्लिमों के कब्रगाह पर आने वाले शवों में औचक बढ़ोतरी देखने को मिली थी। मौजूदा जानकारी के अनुसार, इंदौर में मुस्लिमों के 4 कब्रिस्तान हैं, जिनमें 1 अप्रैल से 6 अप्रैल के बीच में 127 लोगों के शवों को दफनाया गया था और 7 वें दिन तक ये आँकड़ा 145 पहुँच गया था।