मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि राम मंदिर मामले में मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका (रिव्यु पेटिशन या पुनर्विचार याचिका) दाखिल करेगा। जमात-ए-उलेमा-ए-हिन्द की बैठक के बाद मदनी ने अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा कि उन्हें पता है कि उनकी समीक्षा याचिका ख़ारिज हो जाएगी लेकिन फिर भी वो इसे दायर करेंगे। मदनी ने कहा कि समीक्षा याचिका दायर करना उनका अधिकार है और वो ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें ख़ूब मालूम है कि उनकी समीक्षा याचिका शत-प्रतिशत खारिज ही की जानी है फिर भी वो सुप्रीम कोर्ट जाएँगे और इसे दाखिल करेंगे। मदनी ने कहा कि ये उनकी लड़ाई है।
राम मंदिर को लेकर मौलाना मदनी इससे पहले भी भड़काऊ बयान दे चुके हैं। जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की राष्ट्रीय कार्यसमिति के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसले के बाद कहा था कि मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं किया गया था। इससे पहले जमीयत ने एक पैनल बनाया था। कहा गया था कि ये पैनल वकीलों और शिक्षाविदों से बात कर के तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगा कि पुनर्विचार याचिका दाखिल करना है या नहीं। अब जमीयत ने साफ़ कर दिया है कि पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी।
Maulana Arshad Madani, Jamiat Ulema-e-Hind on AIMPLB meeting on Supreme Court’s Ayodhya Verdict: Despite the fact that we already know that our review petition will be dismissed 100%, we must file a review petition. It is our right. pic.twitter.com/VvvnkqEtnX
— ANI UP (@ANINewsUP) November 17, 2019
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने अयोध्या विवाद में ऐतिहासिक फ़ैसला दिया था। इस फ़ैसले के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर पर मुहर लग गई और मस्जिद के लिए कहीं और ज़मीन दिए जाने की बात कही गई। कई मुस्लिम नेताओं ने इस फ़ैसले का विरोध किया। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें उनकी मस्जिद वापस चाहिए। वहीं मौलाना मदनी ने कहा था कि जहाँ एक बार मस्जिद बन गई, वहाँ क़यामत तक मस्जिद ही रहती है।
मौलाना अरशद मदनी ने बाबर को भी क्लीनचिट देते हुए कहा था कि बाबर ने जबरन मंदिर तोड़ कर मस्जिद नहीं बनाई। उन्होंने कहा कि मस्जिद तोड़ कर बनाए गए मंदिर में नमाज नहीं पढ़ी जा सकती है। उन्होंने इस बात को भी नकार दिया कि जिस मस्जिद में नमाज नहीं होती है, वो मस्जिद नहीं है। उन्होंने कहा था कि नमाज हो या नहीं हो, मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहता है।