Tuesday, March 19, 2024
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MBA किया बेटा नौकरी छोड़ अस्पताल में बना स्वीपर… पिता की देखभाल के लिए… कोरोना से हार गया ‘त्याग’

एमबीए किए बेटे ने अपनी नौकरी इसलिए छोड़ दी, ताकि वह अपने कोरोना पॉजिटिव पिता की अस्पताल में स्वीपर बनकर देखभाल कर सके, लेकिन...

कोरोना काल में कई ऐसी खबरें सामने आई हैं, जिसने दिल और दिमाग दोनों को झकझोर दिया है। ताजा घटना आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की है। यहाँ एक एमबीए किए बेटे ने अपनी नौकरी केवल इसलिए छोड़ दी, ताकि वह अपने कोरोना पॉजिटिव पिता की अस्पताल में स्वीपर बनकर देखभाल कर सके। हालाँकि, इस दर्द से बड़ा दर्द और क्या होगा जब श्रवण कुमार जैसा बेटा अपने सपनों को त्याग कर पिता के लिए स्वीपर बनने के लिए तैयार हो गया, लेकिन अपनी लाख कोशिशों के बावजूद वह उन्हें कोरोना रूपी राक्षस से नहीं बचा पाया।

दरअसल, आंध्र प्रदेश के विशाखा के अक्कय्यापलेम के रहने वाले मधुकिशन राव के पास एमबीए की डिग्री थी और वह पिछले डेढ़ साल से सरकार द्वारा संचालित कॉल सेंटर में काम कर रहे थे। उनके पिता 67 वर्षीय सुदर्शन राव स्थानीय शिपयार्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी थे। पिता के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मधुकिशन ने उन्हें 2 मई 2021 को शहर के सरकारी KGH Hospital में भर्ती करा दिया। उन्हें अस्पताल में सीएसआर ब्लॉक की चौथी मंजिल पर भर्ती कराया गया था।

न्यूज़ 18 के रिपोर्ट के अनुसार दो दिनों के बाद बुजुर्ग सुदर्शन राव बाथरूम में गिर गए, जिससे उनके शरीर में कई चोटें लग गई और काफी खून भी बह गया। उन्होंने अपने बेटे और परिवार के सदस्यों से इसकी शिकायत की कि अस्पताल के कर्मचारी उनकी ठीक से देखभाल नहीं करते हैं। शिकायतों के बाद कर्मचारियों ने सुदर्शन राव का पहले से बेहतर इलाज करना शुरू कर दिया, लेकिन इसके बाद भी उनकी स्थिति में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला।

वहीं, बेटे से अपने पिता की ऐसी हालत देखी नहीं जा रही थी। वह अपने पिता को इन परिस्थितियों में देखकर बेहद चिंतित थे। ऐसे में पिता की बेहतरी के लिए उन्हें केवल एक ही रास्ता नजर आ रहा था। मधुकिशन ने अपने पिता की देखभाल करने के लिए अपनी कॉल सेंटर वाली नौकरी छोड़ने और अस्पताल में एक सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने का फैसला किया।

अस्पताल में सफाई कर्मचारी की नौकरी करने के लिए पहुँचे मधुकिशन ने अपने पिता को ढूँढना शुरू किया, लेकिन जिस कमरे में उन्हें भर्ती कराया गया था, वह वहाँ थे ही नहीं। काफी तलाश करने के बाद बेटे ने अस्पताल में शौचालय के पास बरामदे में अपने पिता की लावारिस लाश को पड़ा पाया। पास के एक वार्ड में मौजूद व्यक्ति ने मधुकिशन को बताया कि उसके पिता की मृत्यु बहुत पहले ही हो चुकी थी। ये सुनने के बाद मानो बेटे के पैरों जमीन ही खिसक गई हो, वह मन ही मन इसके लिए खुद को दोषी मान रहा थे कि तमाम कोशिशों के बावजूद वह अपने पिता की जान नहीं बचा पाए।

पिता के साथ हुए इस वाकया से मधुकिशन और उसका परिवार अंदर से टूट चुका है। उन्होंने सुदर्शन की मौत के लिए अस्पताल के लापरवाह कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया है। मधुकिशन ने इस मामले की शिकायत जिला कलेक्टर, पुलिस आयुक्त, अस्पताल प्रमुख और अस्पताल पर्यवेक्षक से भी की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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