महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर से पैदा हुए सकंट का फायदा उठाकर कमाई करने के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने महाराष्ट्र पुलिस पर वसूली का आरोप लगाया है। राज्य में 15 दिनों का कर्फ्यू लगने लगाए जाने के कारण मजदूर अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हैं।
एक टैक्सी ड्राइवर ने बताया, “कर्फ्यू लगने के बाद आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। हम अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। पिछले साल भी हम लॉकडाउन के दौरान अपने घरों को लौट गए थे। लेकिन स्थिति सुधरने के बाद हम फिर से वापस आ गए। पिछले साल की तरह इस साल भी पुलिस हमसे जबरन वसूली कर रही है।”
इसी तरह महाराष्ट्र से वापस लौट रहे एक प्रवासी मजदूर सनाउल्लाह खान ने बताया, “हम पुणे से आ रहे हैं। एक बस ने हमसे 2500-3000 रुपए लिए। महाराष्ट्र बॉर्डर पर हमें बस से उतारकर दो गाड़ियों में बैठने को कहा गया। बॉर्डर चेक प्वाइंट पर पुलिस और परिवहन विभाग के लोगों ने भी हमें अनदेखा कर दिया।”
दो जीपों में सवार 50 से ज्यादा प्रवासी मजदूर इंदौर बाइपास के पास देखे गए जो जबलपुर जा रहे थे। इनलोगों को इंदौर की राउ थाना पुलिस ने एक एनजीओ की मदद से बचाया।
समाजसेवी शैलेश कुमावत ने बताया, “यहाँ खाने और विश्राम करने के साथ डॉक्टर और दवाइयों की भी व्यवस्था की गई है। आवश्यकता पड़ने पर हम अस्पताल से भी मदद लेते हैं। यहाँ आने वाले मजदूर थके हुए होते हैं। लिहाजा स्थानीय पुलिस की सहायता से हमने उनके लिए कुछ व्यवस्थाएँ की हैं।”
मंगलवार (13, अप्रैल) को महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए धारा 144 लगाने का आदेश दे दिया। सरकार के इस कदम से महाराष्ट्र में रहने वाले मजदूरों में घबड़ाहट का माहौल निर्मित हो गया। इसके बाद ये मजदूर महाराष्ट्र छोड़कर अपने राज्यों की ओर निकलने लगे।
इससे पहले खबर आई थी कि मुंबई में कई टूर एंड ट्रैवल ऑपरेटर लोगों को 300 रुपए में कोविड 19 की नेगेटिव रिपोर्ट दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के बाद कई लोग अपने घर लौटने को मजबूर हैं। कई राज्यों ने महाराष्ट्र से लौटने वालों के लिए कोविड-19 RT-PCR की नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। लोगों की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर टूर एंड ट्रैवल्स वालों ने नया धंधा शुरू किया है। यहाँ वे यात्रियों को 300 रुपए में कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट उपलब्ध कराते हैं, वो भी बिना टेस्ट के।
यह बात भी सामने आ चुकी है कि BMC के अधिकारी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बाहरी देशों से आए लोगों को 7 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन में रखने की बजाय उनसे 10-12 हजार रुपए लेकर उन्हें एयरपोर्ट से निकलने में मदद कर रहे हैं। मिड-डे ने खुलासा किया था कि एयरपोर्ट पर बीएमसी अधिकारियों को इसलिए तैनात किया गया कि वो कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश जैसे- ब्रिटेन, यूरोप, मिडिल ईस्ट और साउथ अफ्रीका, से आए यात्रियों का 7 दिन का क्वारंटाइन सुनिश्चित करें, लेकिन अधिकारी उनसे पैसों की लेन-देन कर उन्हें छोड़ रहे हैं।