भारत का दुर्भाग्य ये है कि यहाँ कई ‘मुस्लिम एरिया’ बन गए हैं। यहाँ तक कि एक बड़े राज्य की मुख्यमंत्री तक हिन्दुओं को सलाह देती हैं कि वो ‘मुस्लिमों के इलाके’ में अपने पर्व-त्योहार न मनाएँ। परिणाम ये होता है कि रामनवमी पर जगह-जगह श्रद्धालुओं पर हमले किए जाते हैं। अब तो आलम ये है कि ‘मुस्लिम एरिया’ में पत्रकारों को कुछ कवर करने या लोगों की राय तक लेने के लिए पहले अनुमति लेनी होगी। एक ताज़ा वायरल वीडियो तो कुछ इसी ओर इशारा कर रही है।
“आप अपने घर ले जाओ इस कैमरे को” से लेकर ‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बोलने की’ तक, एक पत्रकार को मुस्लिमों की भीड़ में कुछ इस तरह के सवालों का सामना करना पड़ा। उसका गुनाह ये था कि वो मुस्लिमों का पक्ष लेने गया था एक घटना को लेकर। एक पूछता है, “आज ही का दिन मिला था तुझे, ये बता?”। यानी, शुक्रवार (उनके लिए जुमा) के दिन उनसे कोई सवाल नहीं किया जा सकता। एक ने धमकाया, “आप मेरे घर के सामने खड़े हैं, आप यहाँ से जाइए।”
आइए, अब इस पूरे प्रकरण को शुरू से समझते हैं। 24 फरवरी, 2023 को गुंडों ने उमेश पाल के घर में घुस कर उनकी हत्या कर दी। सीसीटीवी में शूटरों के चेहरे सामने आ गए। हत्या न सिर्फ उमेश पाल, बल्कि यूपी पुलिस द्वारा उन्हें दिए गए दो अंगरक्षकों की भी कर दी गई। उमेश पाल, 2005 में हुई विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह थे। दोनों ही घटनाओं से जिसका नाम जुड़ा, वो था प्रयागराज में कभी खौफ का दूसरा नाम रहा माफिया अतीक अहमद।
गुरुवार (13 अप्रैल, 2023) को यूपी पुलिस से एनकाउंटर में अतीक अहमद का बेटा असद और उसका साथी गुलाम ढेर हो गया। दोनों के मारे जाने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने इसकी निंदा की और कहा कि एनकाउंटर की घटनाओं से लोगों का देश के संविधान में भरोसा कम होता है। ‘खबर इंडिया’ में कार्यरत पत्रकार केशव मालान भी असदुद्दीन ओवैसी के इसी बयान पर मुस्लिमों की प्रतिक्रिया लेने के लिए गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी पहुँचे थे।
वीडियो में देखा जा सकता है कि यहाँ पर कुछ मुस्लिम इकट्ठे होकर उन्हें जाने को कहने लगे, उन पर चिल्लाने लगे। नूरानी मस्जिद के पास स्थित गली में लोगों ने असद अंसारी के एनकाउंटर का विरोध किया और ओवैसी के बयान का समर्थन किया। मुस्लिम युवकों ने कहा कि कानून उन्हें सज़ा देगा, न कि पुलिस। उमेश पाल की हत्या के लिए एक ने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को दोषी ठहरा दिया। अधिकतर मुस्लिम युवक इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए ये पूछते नजर आए कि फिर कोर्ट-जज किसलिए हैं?
एक ने तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ की बात करते हुए ये कह डाला कि यहाँ गुनहगार छोड़ दिए जाएँगे और निर्दोषों का एनकाउंटर होगा। एक ने तो गोरक्षक मोनू मानेसर को गिरफ्तार किए जाने की माँग कर डाली और दूसरी घटनाओं का जिक्र करने लगे। इसी बीच एक टोपी वाला मुस्लिम युवक भड़क गया और कहने लगा हमलोगों को असद से या किसी से कोई मतलब नहीं है। इसके बाद उनका हाथ पकड़ कर और उन्हें धक्का दिया जाने लगा।
एक बच्चे ने भी केशव मालान को ‘चुपचाप चला जा’ कह दिया, जो वीडियो में देखा जा सकता है। कुछ मुस्लिम माइक झटकते हुए नजर आए। एक ने कह डाला, “सबसे बड़ा माफिया योगी है, उस पर 150 केस दर्ज हैं।” अधिकतर मुस्लिम इस पर ये कह कर कुछ बोलने से बचते हुए नजर आए कि नमाज का वक्त हो गया है। “आप मस्जिद के 100 मीटर के दायरे में खड़े नहीं हो सकते’ – वीडियो में एक कट्टर मुस्लिम युवक का ये बयान सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है।
हमने इस पूरे मामले के सामने आने के बाद ‘खबर इंडिया’ के पत्रकार केशव मालान से बातचीत की। उन्होंने बताया कि उस इलाके में मात्र 300 मीटर के क्षेत्र में उन्हें 3 बड़ी मस्जिदें दिख गईं। उन्होंने बताया कि ओवैसी ने असद अहमद के एनकाउंटर पर कहा कि मजहब देख कर ऐसा किया जा रहा है, तो उन्हें लगा कि इस पर मुस्लिमों की प्रतिक्रिया लेनी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का पब्लिक ओपिनियन आना ज़रूरी है, क्योंकि ओवैसी जैसे नेता बरगला रहे हों – ये भी हो सकता है।
इसी सोच के साथ वो मस्जिद के पास पहुँचे थे। उन्होंने बताया कि वहाँ पहुँचते ही माहौल ही अलग लगा, गरम था, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने अपने और कैमरामैन मोहित सिंह के साथ धक्कामुक्की की भी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कैमरे की वजह से कम बदतमीजी की है, वरना हमारे साथ कुछ भी हो सकता था। केशव मालान ने बताया कि कवरेज के बाद लौटने पर उनके चैनल वालों ने भी कहा कि संभल कर रहिए, इतना रिस्क लेने की ज़रूरत ही नहीं है।
हालाँकि, केशव का मानना है कि इसमें रिस्क जैसी कोई बात ही नहीं है क्योंकि दिल्ली में भी कई बार रिपोर्टिंग करते समय डर लगता है और राजस्थान में भी इस तरह का डर लगा। हालाँकि, उत्तर प्रदेश के संबंध में उनका मानना है कि यहाँ मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में रिपोर्टिंग के लिए जाते हुए उन्हें डर नहीं लगता। इसका श्रेय वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को देते हैं। केशव मालान कहते हैं कि उनके अंतर्गत कानून का राज है और कुछ हुआ भी तो न्याय मिलेगा, इसका भरोसा रहता है।
उन्होंने बताया कि यूपी में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी वो बेख़ौफ़ होकर आसानी से रिपोर्टिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी में उनसे जो बातें कही गईं, वो एक तरह से उन्हें धमकी ही थी। केशव ने बताया कि उन्होंने उस मोहल्ले में जिन भी मुस्लिमों से बातचीत की, उनमें से अधिकतर यही कह रहे थे कि असद अहमद को सताया गया है। उमेश पाल की हत्या की सीसीटीवी फुटेज में असद दिखा था, इस तथ्य को भी वो नकार रहे थे।
एक सवाल पर इतनी बौखलाहट🤔🤔 एक बात समझ नहीं आ रही एनकाउंटर अपराधी का हुआ है और घर-घर मातम जाती, समुदाय देखकर मनाया जा रहा है। #AsadAhmadEncounter#AtiqAhmed #Muslims@myogiadityanath @ajeetbharti @anupamnawada @IAbhay_Pratap @SarikaJainBJP @Sadhvi_prachi @BJP4UP @thebharatpur pic.twitter.com/ShQGiiDrVY
— Keshavmalan (@Keshavmalan93) April 14, 2023
वहीं हमने इस पूरे प्रकरण के दौरान कैमरामैन रहे मोहित सिंह से भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि उन्हें लगातार कैमरा ऑफ करने को कहा जा रहा था, ऐसे में उन्होंने कैमरे को फ्लिप कर दिया लेकिन ऑफ नहीं किया। उन्होंने जानकारी दी कि उन्हें भी हाथ मारा जा रहा था। जैसे ही अतीक अहमद का नाम लिया गया, लोग भड़क जा रहे थे। बकौल मोहित, अंदर से ये डर था कि आखिर यहाँ से निकलेंगे कैसे। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के पास वहाँ अच्छा-खासा संख्याबल था।
इस प्रकरण से स्पष्ट है कि पत्रकारों को सीधा सन्देश दिया जा रहा है कि ये जो तथाकथित ‘मुस्लिम इलाके’ हैं, वहाँ ये रिपोर्टिंग न करें। मस्जिद के आसपास के इलाके में ‘शरीयत’ के हिसाब से कानून चलेगा? हमने तो सुना था कि सड़क या अन्य सार्वजनिक संपत्तियाँ सरकार की होती हैं, कोई इन पर दावेदारी नहीं कर सकता। क्या देश में कई छोटे-छोटे पाकिस्तान बन गए हैं? अगर ऐसा है तो ये निश्चित ही खतरे की घंटी है। अगर हिन्दू इसी तरह ‘हिन्दू इलाके’ की बात करने लगे तो क्या होगा?