Saturday, June 3, 2023
Homeदेश-समाजनासिर ने बीड़ी सुलगाने के लिए माचिस जलाई, जलती तीली से लाइब्रेरी में आगः...

नासिर ने बीड़ी सुलगाने के लिए माचिस जलाई, जलती तीली से लाइब्रेरी में आगः 3000 भगवद्गीता समेत 11 हजार पुस्तकें राख

आरोपित सैयद नासिर देर रात नशे की हालत में घर लौटा। उसका अपनी माँ और बहनों से झगड़ा हुआ। इसके बाद वह घर से बाहर निकल गया। बाहर निकल कर उसने बीड़ी सुलगाने के लिए माचिस की तीली जलाई और उसे लापरवाही से फेंक दिया।

हाल ही में कर्नाटक के मैसूर की एक लाइब्रेरी में आग लगने की घटना सामने आई थी। इसमें 3000 भगवद्गीता समेत 11 हजार पुस्तकें जल कर राख हो गई थी। मामले में मैसूर पुलिस ने सैयद नासिर नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक मैसूर सिटी पुलिस ने लापरवाही से जलती माचिस की तीली फेंकने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया है। इसी वजह से आग लगी थी। पुलिस का कहना है कि 35 वर्षीय आरोपित ने बीड़ी सुलगाने के लिए माचिस की तीली जलाई और फिर बिना इधर-उधर देखे उसे लापरवाही से फेंक दिया।

शहर के पुलिस आयुक्त चंद्रगुप्त ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आरोपित सैयद नासिर देर रात नशे की हालत में घर लौटा। उसका अपनी माँ और बहनों से झगड़ा हुआ। इसके बाद वह घर से बाहर निकल गया। बाहर निकल कर उसने बीड़ी और माचिस की तीली जलाई और खुले में एक मरम्मत की दुकान के बाहर रखे फर्नीचर और कुशन पर माचिस की तीली फेंक दी।

घटनास्थल से उसके निकलने के कुछ ही मिनटों बाद आग लग गई। दो स्थानीय लोगों ने इस घटना को देखा और उन्होंने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। आग की लपटें बढ़ती गई और जल्द ही पूरी लाइब्रेरी राख के ढेर में तब्दील हो गई। 

पुलिस ने डिटेल्स पता करने के लिए सीसीटीवी में कैद तस्वीरों का सहारा लिया। पुलिस का कहना है कि सैयद नासिर और सैयद इसाक के बीच में कोई दुश्मनी नहीं है। इसाक ने आरोप लगाया था कि उपद्रवियों ने कन्नड़ भाषा के प्रति दुश्मनी के कारण पुस्तकालय को आग लगा दी। हालाँकि यह पता लगाने के लिए आगे की जाँच चल रही है कि घटना जान-बूझकर की गई थी या अनजाने में। 

बता दें कि यह सार्वजनिक पुस्तकालय सैयद इसाक नाम के शख्स का था। सैयद इसाक दिहाड़ी मजदूर हैं। इसाक ने इस सार्वजनिक पुस्तकालय को अमार मस्जिद के पास राजीव नगर में एक निगम पार्क के अंदर एक शेड जैसी संरचना में स्थापित किया था। हर दिन, 100-150 से अधिक लोग उनके पुस्तकालय में आते थे।  इसाक कन्नड़, अंग्रेजी, उर्दू और तमिल सहित 17 से अधिक समाचार पत्रों की खरीद करते थे। वह लाइब्रेरी के रख-रखाव और अखबारों की खरीद पर लगभग 6,000 रुपए खर्च करते थे।

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कटे हुए शव, चकनाचूर बोगियाँ और चीखते-चिल्लाते लोग: ओडिशा के बालासोर में 3 ट्रेनों के टकराने से हुआ भीषण हादसा; 200 से ज्यादा मौतें,...

ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसा हुई है, जिसमें अभी तक 280 लोगों के शव निकाले गए हैं। अभी भी बोगियों में कई शव फँसे पड़े हैं।

यूँ ही नहीं बन गई बाहुबली… 24% ब्याज पर SS राजमौली ने लिया था ₹400 करोड़ का कर्ज: एक्टर राणा दग्गुबाती का खुलासा

राणा दग्गुबाती ने कहा कि पहले फिल्म मेकर्स घर या दूसरी संपत्ति को बेचकर या बैंक में गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम करते थे।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
259,563FollowersFollow
415,000SubscribersSubscribe