Sunday, September 1, 2024
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नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की कारस्तानी, ऑनलाइन पेपर में कश्मीर पर बताया भारत का कब्जा

सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि इस मूल्यांकन पत्र को प्रोफेसर विनोद कुमार ने जुलाई में LLM के छात्रों के लिए तैयार किया था। प्रोफेसर विनोद कुमार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सबाल्टर्न स्टडीज़ के निदेशक हैं।

सोशल मीडिया में प्रश्न पत्र वायरल हो रहा है। यह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के द्वितीय सेमेस्टर का ऑनलाइन मूल्यांकन पत्र है। इसमें कश्मीर के लिए उसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है जैसा पाकिस्तान करता है।

वायरल प्रश्न पत्र में भारत के अभिन्न हिस्से कश्मीर को ‘भारत अधिकृत कश्मीर’ (Indian Occupied Kashmir) बताया गया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा प्रश्न पत्र

इस मूल्यांकन पत्र के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर तो कई लोग मूल्यांकन पत्र तैयार करने वाले प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की भी माँग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि इस मूल्यांकन पत्र को प्रोफेसर विनोद कुमार ने जुलाई में LLM के छात्रों के लिए तैयार किया था। प्रोफेसर विनोद कुमार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सबाल्टर्न स्टडीज़ के निदेशक हैं। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि यह प्रश्न पत्र 2019 के बैच के छात्रों के लिए तैयार किया गया था, जिसका ऑनलाइन टेस्ट 2020 में हुआ।

ट्विटर पर लोगों ने इसके लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी घेरा है, क्योंकि यह उनके विभाग के ही अधीन आता है। बता दें कि मनीष सिसोदिया के पास फिलहाल शिक्षा, उच्च शिक्षा, जन निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), शहरी विकास, स्थानीय निकाय, भूमि एवं भवन तथा रेवेन्यू विभाग हैं।

सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पत्र को शेयर करते हुए दिल्ली पुलिस से इनके खिलाफ एक्शन लेने की अपील की है। लोगों का कहना है कि इनके और पड़ोसी मुल्क के रवैये में कोई अंतर नहीं है। लोगों ने तो यहाँ तक कह दिया कि ये किसी गद्दार से कम नहीं हैं। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

एक सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा कि ये गलती नहीं, बल्कि प्लान्ड है। वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, “ये देखिए सर, क्या हो रहा है। ये शिक्षक अपना ही देश तोड़ने जैसी चीजें सिखाते हैं। आज अरेस्ट नहीं किया तो कल ये आपके बच्चों को भी गलत सिखाएँगे और उनके बच्चों को भी और उनके घर भी तुड़वा देंगे। कुछ कार्रवाई कर दीजिएगा।”

बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित रखने के फैसले पर रोक लगा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि यथास्थिति बनाई रखी जाए। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी प्रसाशन ने दिल्लीवासियों के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित कर दिए थे, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया था।

वहीं मनीष सिसोदिया ने साफ किया था कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों, जिसमें नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भी शामिल है, में अब कोई परीक्षाएँ नहीं ली जाएँगी। परीक्षाओं के बिना पिछले वर्ष या पिछले सेमेस्टर के अंकों के आधार पर छात्रों को डिग्री दे दी जाएगी। ताकि वे अपनी अगली कक्षाओं में पढ़ाई की तैयारी कर सकें, या जिन्हें नौकरी करना है, वे अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ सकें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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