Sunday, September 1, 2024
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‘पाकिस्तान के एक जज को जानता हूँ, उनकी बेटियों को कभी हिजाब में नहीं देखा’: बोले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस – ऐसे कई मुस्लिम परिवार, जहाँ हिजाब नहीं

कर्नाटक के एडवोकेट जनरल ने आगे कहा कि जहाँ अनुच्छेद-21 के तहत निजता के अधिकार का संबंध है, निजता के अधिकार को लेकर नियम-कानून अभी विकसित हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच की सुनवाई का बुधवार (20 सितंबर, 2022) को नौवाँ दिन था। सरकारी और याचिकाकर्ता, दोनों पक्षों की तरफ से दलीलें दी गईं। कर्नाटक सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने बुधवार (21 सितंबर 2022) दलीलें पेश कीं। उच्चतम न्यायालय में हिजाब मामले पर गुरुवार को फिर सुनवाई होगी।

लाइव लॉ’ के मुताबिक, सुनवाई के दौरान कर्नाटक के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत हर धार्मिक प्रथा संरक्षित नहीं है। नवदगी ने कहा कि कई मुस्लिम माताएँ और बहनें हिजाब नहीं पहनतीं। उन्होंने कहा कि तुर्की और फ्रांस जैसे देशों में हिजाब प्रतिबंधित है, फिर भी वहाँ इस्लाम फैल रहा है। साथ ही दलील दी कि इसे न पहनना किसी महिला को कम मुस्लिम नहीं बनाता।

सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि वो हिजाब से जुड़े कुछ मामले साझा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वो पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट के एक जज को जानते हैं, जो भारत आया करते थे। उन्होंने बताया कि उक्त जज की दो बेटियाँ भी थीं, लेकिन उन्होंने कभी उन बच्चियों को हिजाब पहनते नहीं देखा। इतना ही नहीं, जस्टिस गुप्ता ने बताया कि उन्होंने देश में कई मुस्लिम परिवार देखे हैं, जहाँ घर के मुखिया ने अपने बच्चियों के ऊपर हिजाब नहीं थोपा है।

वहीं, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि हिजाब का विवाद धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस केस को संवैधानिक बेंच में भेजा जाए। इस पर नवदगी ने कहा, “हमने हिजाब पर बैन नहीं लगाया है। स्कूल परिवहन में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। स्कूल परिसर के अंदर भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।”

कर्नाटक के एडवोकेट जनरल ने आगे कहा कि जहाँ अनुच्छेद-21 के तहत निजता के अधिकार का संबंध है, निजता के अधिकार को लेकर नियम-कानून अभी विकसित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुट्टास्वामी के फैसले के अनुसार, सभी क्षेत्रों में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है। एजी ने इन आरोपों से भी इनकार किया कि राज्य ने एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया है। उनके शब्दों में, “मैं इसे सिरे से खारिज करता हूँ। बल्कि, राज्य सरकार अल्पसंख्यक समूहों के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चला रही है।”

जस्टिस गुप्ता ने पूछा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि हिजाब पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, तो किस तरह की प्रथा है? उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के अनुसार, कुरान में कही गई हर बात अल्लाह की आयतें हैं और अनिवार्य हैं। इस पर एजी ने जवाब दिया कि इस्लाम में हिजाब एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।

बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों द्वारा हिजाब पहनना इस्लाम में एक मौलिक धार्मिक प्रथा नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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