Sunday, November 17, 2024
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जालौर के छात्र की मौत का जाति नहीं जिम्मेदार: राजस्थान बाल अधिकार आयोग ने ‘दलित’ एंगल किया खारिज, बताया- सभी एक ही टंकी से पीते हैं पानी

9 साल के इंद्र की मौत के बाद सवर्ण शिक्षक छैल सिंह पर एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। मृतक के पिता देवाराम मेघवाल का दावा है कि इंद्र ने हेडमास्टर छैल सिंह की मटकी से पानी पी लिया था। इसके बाद उसे गालियाँ देते हुए पीटा गया, जिससे उसका ब्रेन हैमरेज हो गया और 24 दिन बाद इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।

राजस्थान के जालौर के एक स्कूल में ‘मटके से पानी पीने पर दलित छात्र की शिक्षक द्वारा पीटकर की गई हत्या’ की सच्चाई अब सामने आने लगी है। घटना को जातीय एंगल देकर जिस तरह से राजनीति हो रही है, इसकी पोल मामले की जाँच कर रही चाइल्ड पैनल ने खोल दी है। पैनल ने स्पष्ट किया है कि बच्चे की मौत में ‘जाति’ का मामला नहीं है।

राजस्थान के राज्य बाल अधिकार आयोग (SCRC) ने जालौर जिले के सुराणा गाँव में निजी स्कूल का दौरा किया और कहा कि बच्चे को थप्पड़ मारने के मामले में जाति का कोई आधार नहीं था। बता दें कि इस स्कूल के हेडमास्टर छैल सिंह ने इंद्र कुमार मेघवाल नाम के एक दलित बच्चे को थप्पड़ मार दिया था। बाद में उस बच्चे की अस्पताल में मौत हो गई थी।

आयोग के सदस्यों ने स्कूल के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों से बातचीत करने के बाद राज्य सरकार को इस पर रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मृतक छात्र ने चित्रकला की पुस्तक को लेकर एक दूसरे छात्र के साथ झगड़ा किया था। इसी बात पर शिक्षक ने दोनों छात्रों को थप्पड़ मारा था।

आयोग ने इस मामले जो बात कही है, वही बात प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और जिला प्रशासन ने भी कहा है। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग के सदस्य शिव भगवान नागा का कहना है कि स्कूल में पानी पीने के लिए कोई मटका नहीं था। शिक्षक और छात्र स्कूल में बने पानी टंकी से ही पानी पीते थे।

मृतक इंद्र की मंगलराम नाम के अपने सहपाठी के साथ झगड़ा हुआ था। मंगलराम के हवाले से आयोग ने कहा है कि उधर से गुजर रहे छैल सिंह ने जब देखा तो दोनों छात्रों को थप्पड़ लगा दिया। दो थप्पड़ लगने के बाद इंद्र कक्षा में गिर गया था और उसके आँख और कान में चोट आई थी।

हालाँकि, आयोग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसी स्कूल में इंद्र का भाई 13 वर्षीय नरेश कुमार भी पढ़ता है। उसने बताया कि लंच टाइम के दौरान मटकी से पानी पीने के कारण उसके भाई को पीटा गया।

इस घटना को लेकर बवाल मचने के बाद इस निजी स्कूल की संबद्धता (Recognition) को खत्म कर दिया गया है। वहीं, आयोग ने कहा है कि स्कूल की मान्यता रद्द करने के बाद वहाँ पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को सुनिश्चित करना होगा।

बता दें कि सुराणा आजकल राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। भीम आर्मी लगातार लोगों को उकसाने का काम कर रही है। वहीं, कई अन्य संगठन प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन संगठनों की माँग है कि मृतक छात्र के परिजन को 50 लाख रुपए मुआवजा और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। आम आदमी पार्टी ने तो एक करोड़ रुपए मुआवजे की माँग की है।

9 साल के इंद्र की मौत के बाद सवर्ण शिक्षक छैल सिंह पर एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। मृतक के पिता देवाराम मेघवाल का दावा है कि 20 जुलाई को इंद्र ने अपने हेडमास्टर छैल सिंह की मटकी से पानी पी लिया था। इसी के बाद उसे भद्दी-भद्दी गाली देते हुए पीटा गया, जिससे उसका ब्रेन हैमरेज हो गया और 24 दिन बाद इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

शिक्षकों ने नकारा भेदभाव वाला एंगल

सरस्वती स्कूल के टीचर गटाराम मेघवाल (मृतक बच्चे की जाति वाले टीचर) ने बताया था कि वो 7-8 साल से स्कूल में पढ़ा रहे हैं, पर उन्होंने भेदभाव कभी महसूस नहीं किया। छोटे बच्चों का भी कहना है कि स्कूल में कोई मटकी नहीं है, सारे लोग टंकी का पानी पीते हैं।

टीचर ने बताया कि अभी तक खबरों में ये बातें सामने आई हैं कि बच्चे को मटकी से पानी पीने के कारण मारा गया, लेकिन हकीकत तो ये है कि स्कूल में भेदभाव जैसा कुछ नहीं है। वो खुद स्कूल में 8 सालों से पढ़ा रहे हैं। पूरे स्कूल में एक टंकी है और सब उससे पानी पीते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में कुल 8 स्टाफ हैं, जिनमें एससी-एसटी के 5 स्टाफ हैं। ऐसे में भेदभाव का तो सवाल ही नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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