उत्सव जहाँ की पहचान हो और आनंद जहाँ सर्व सुलभ हो, ऐसी काशी का मिजाज इन दिनों कोरोना वायरस की वजह से थोड़ा बदला हुआ है। इतना ही नहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बनारस में उत्सव और मेल मिलाप के आयोजन थम गए हैं। काशी की खास पहचान कल-कल बहती गंगा की मौज तो वही है, बस किनारे पर हलचल थम सी गई है। आज सुबह से ही गंगा में अठखेलियाँ करती नौकाएँ किनारे पर बँधी नजर आईं और कोरोना अलर्ट की वजह से मंदिरों, मठों तक में माहौल बेहद शांत है और गतिविधियाँ काफी सीमित रहीं।

गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए संक्रमण के प्रति लोगों में जागरूकता हेतु आज 22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से सुबह 7 बजे से रात के 9 बजे तक घरों में रहकर जनता कर्फ्यू के पालन की अपील की थी। साथ ही इस वैश्विक महामारी से निपटने में जुटे लोगों के प्रति आभार जताने के लिए शाम 5 बजे पॉंच मिनट तक ताली, थाली, घंटे, घड़ियाल, शंख बजाने की भी अपील की थी।
ऐसे में प्रधानमंत्री का अपना संसदीय क्षेत्र कैसे अछूता रहता। वाराणसी ने अपने सांसद प्रधानमंत्री मोदी के अपील में भरपूर साथ दिया है जिसे आप कुछ तस्वीरों के माध्यम से देख सकते हैं।















काशी विश्वनाथ मंदिर भी इतिहास में संभवतः पहली बार बाबा के भक्तों के लिए बंद किया गया है। साथ ही संकटमोचन मंदिर सहित भगवान बुद्ध की स्थली सारनाथ के बौद्ध मंदिरों और कई अन्य पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के मंदिरों के पट भी भक्तों के लिए बंद हैं। जहाँ आज देश जनता कर्फ्यू के दिन पूरी तरह से प्रधानमंत्री के साथ है और उसी क्रम में इसका सबसे बड़ा संदेश काशी से है। ये तस्वीरें धर्म की नगरी काशी से ये शंखनाद है कि हम कोरोना वायरस से लड़ने में प्रधानमंत्री मोदी के कदमों का स्वागत करते हैं।
फोटो साभार: आशीष देव उपाध्याय, वाराणसी