Saturday, October 12, 2024
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नाम में गीता, काम में गीता: गीता प्रेस शताब्दी वर्ष समापन समारोह में बोले PM मोदी, कहा- ऐसी संस्थाएँ देश को जोड़ती हैं

गीता प्रेस गीता प्रेस भगवद्गीता की 18 करोड़ प्रतियाँ और तुलसीदास से संबंधित ग्रंथ की 12 करोड़ प्रतियाँ भी प्रकाशित कर चुकी हैं। इस प्रेस में रोजाना 16 भाषाओं में 1800 किताबों की 70,000 किताबें प्रिंट होती हैं। यहाँ से प्रकाशित हनुमान चालीसा की कीमत दो रुपए से भी सस्ती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को गोरखपुर पहुँचकर गीता प्रेस की शताब्दी महोत्सव के समापन समारोह में शामिल हुए। उनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद हैं। गीता प्रेस के प्रांगण में पहुँचते ही छात्रों ने वेद मंत्र से उनका स्वागत किया। उन्होंने अवलोकन किया और इस्तेमाल की गई पहली छपाई मशीन को भी देखा।

गीताप्रेस में प्रधानमंत्री ने दो किताबों का विमोचन भी किया। इनमें एक शिवपुराण और एक तुलसीदास कृत ग्रंथ शामिल है। बताते चलें कि गीता प्रेस की स्थापना जयदयाल गोयंदका और हनुमान प्रसाद पोद्दार ने सन 1923 में की थी। तब से तमाम उतार-चढ़ाव को देखते हुए अपने 100 वर्ष को पूरा किया।

पीएम मोदी ने कहा, “गीता प्रेस विश्व का इकलौता ऐसा प्रिंटिंग प्रेस है, जो एक संस्था नहीं एक जीवंत आस्था है। इसका कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। इसके नाम में भी गीता है और काम में भी गीता है। जहाँ गीता है, वहाँ कृष्ण हैं। वहाँ गीता है तो ज्ञान है। ज्ञान है तो बोध है। बोध है तो शोध है।”

महात्मा गाँधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “गाँधी जी का गीता प्रेस से भावनात्मक संबंध था। वे गीता प्रेस की कल्याण पत्रिका के माध्यम से लिखा करते थे। उन्होंने ही कहा था कि इसमें विज्ञापन नहीं छापा जाए। आज भी इसमें विज्ञापन नहीं छापा जाता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह भारत को उनकी जीवन शैली से परिचित कराकर राष्ट्र सेवा का काम करता रहा है। संतों की तपस्या कभी निष्फल नहीं होती। यही कारण है भारत नित नई सफलता हासिल कर रहा है। आज भारत विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “यहाँ लागत से भी कम मूल्य पर धार्मिक किताबें लोगों को घर-घर तक पहुँचाई जाती हैं। गीता प्रेस से जैसी संस्था सिर्फ धर्म-कर्म से ही नहीं जुड़ी हैं, यह भारत को भी जोड़ती हैं। देश भर में इसकी 20 शाखाएँ हैं। अलग-अलग भाषाओं में यह भारत की मूल चिंतन को लोगों तक पहुँचाती है। यह एक भारत श्रेष्ठ भारत के चिंतन को आगे बढ़ाती है।”

प्रकाशन की उपयोगिता को बोलते हुए कहा, “विदेशी आक्रांताओं ने हमारे पुस्तकालयों को जलाया था। अंग्रेजों ने हमारी गुरुकुल परंपरा को नष्ट कर दिया। हमारे पूज्य ग्रंथ लोप होने के कगार पर थे। ऐसे में ऐसी संस्थाओं ने ही उन्हें बचाने का काम किया। ये ग्रंथ फिर से घर-घर पहुँचने लगे है। इन ग्रंथों से हमारी नई पीढ़ियाँ जुड़ने लगे हैं।

वहीं, योगी आदित्यनाथ ने कहा, “गीता प्रेस ने अपनी शानदार 100 वर्ष पूरे किए और पिछले 75 साल में कोई भी प्रधानमंत्री यहाँ नहीं आया, क्योंकि यह भारत की आत्मा को झंकृत करता है। उन्होंने पीएम मोदी ने गीता प्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार देकर सम्मान दिया।”

उन्होंने कहा कि गीता प्रेस भारत की हर भाषा में लगभग 100 करोड़ प्रकाशन करने की ओर अग्रसर है। इस दौरान सीएम योगी ने भाजपा सरकार की नीतियों के कारण गोरखपुर के हुए विकास को भी रेखांकित किया।

बताते चलें कि गीता प्रेस गीता प्रेस भगवद्गीता की 18 करोड़ प्रतियाँ और तुलसीदास से संबंधित ग्रंथ की 12 करोड़ प्रतियाँ भी प्रकाशित कर चुकी हैं। इस प्रेस में रोजाना 16 भाषाओं में 1800 किताबों की 70,000 किताबें प्रिंट होती हैं। यहाँ से प्रकाशित हनुमान चालीसा की कीमत दो रुपए से भी सस्ती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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