किसान आंदोलन में सबसे आगे आकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों पर सवाल उठाने वाला भारतीय किसान संगठन (BKU) अब अपनी ही कही बातों से यू टर्न लेता नजर आ रहा है। बता दें कि जिन कानूनों पर संगठन आज नाराजगी दिखा रहा है, वह किसान को उनकी फसल मनमुताबिक दाम पर किसी भी बाजार में बेचने की आजादी देता है और बिचौलियों की भूमिका को खत्म करता है। कुछ समय पहले यही माँग इस संगठन की थी, लेकिन अब राजनीति के कारण हर बयान पूरी तरह उलट दिया जा रहा है।
आज संगठन का कहना है कि नए कानून किसानों के हित में नहीं हैं और इसलिए पुरानी प्रणाली वापस लाई जाए। इनकी माँग है कि बिचौलिया वाला सिस्टम दोबारा शुरू करके पुराने कानूनों को रिस्टोर किया जाना चाहिए, क्योंकि वह सर्वोत्तम थे और जिसे सरकार बिचौलिया बता रही है, वह केवल सर्विस प्रोवाइडर हैं, जो किसानों को सुविधा देने के लिए कमीशन लेते हैं।
High time farmers are freed from system of arhtiyas. @irvpaswan has written to @PunjabGovtIndia
— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) March 2, 2019
BKU has been requesting this for a long time. But Governments have failed to liberate farmers under pressure from #Arhtiyas #commissionagent @thetribunechd @Jairam_Ramesh pic.twitter.com/FpcvIvMxt5
अब अजीब बात है कि संगठन के ये दावे पिछले साल के मुकाबले बिलकुल उलट है। दरअसल, साल 2019 में बीकेयू ने केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवास की उन माँगों का समर्थन किया था, जिसमें उन्होंने पंजाब मुख्यमंत्री से अढ़तिया प्रणाली को हटाकर किसानों को डायरेक्ट भुगतान का मुद्दा उठाया था।
इसी संगठन के किसानों ने उस समय केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की माँग का स्वागत किया था और ऐसे बिचौलियों की भूमिका खत्म करने की माँग उठाई थी जिनके कारण किसान पर उधार का अधिक बोझ बढ़ता है।
केंद्र सरकार ने नए कानून में किसानों को यही आजादी और अधिकार प्रदान किए हैं। लेकिन अब यही संगठन पुरानी प्रणाली वापस लाने पर जोर दे रहा है। साथ ही पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह द्वारा इस कानून का विरोध किए जाने पर उनकी तारीफ कर रहा है। इस कानून को यह संगठन काला कानून बता रहा है।
पिछले साल मेनिफेस्टो में उठाई थी यही माँगे, अब अपनी बात से पलटे
दिलचस्प बात ये है कि साल 2019 में ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी द्वारा तैयार किए गए बीकेयू मेनिफेस्टों में भी उन्हीं बातों का उल्लेख हैं जो नए कृषि कानून में हैं। इस मेनिफेस्टों में एक माँग APMC एक्ट और आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म करने की है।
1/4 This is Kisan Manifesto prepared by KCC. It is a very comprehensive document which details out problems and solutions to agriculture crisis. Liberalisation/ Freedom of agriculture is the essence. All political parties should adopt these suggestions if they are sincere (cont) pic.twitter.com/xmQz4E0bAC
— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) April 3, 2019
बीकेयू ने किसानों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत के संविधान से नौवीं अनुसूची को समाप्त करने की भी माँग की थी। घोषणापत्र में कृषि भूमि को बेचने, किराए पर देने और पट्टे पर देने, बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, भविष्य की वस्तुओं में व्यापार आदि की माँगों का भी उल्लेख किया था।
सरकार के कानून में भी एपीएमसी की मोनोपॉली को खत्म करने के प्रावधान हैं, किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी है। इसके अलावा नए कानून में आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी संशोधन किए गए हैं। साथ ही ये सुनिश्चित किया गया है कि किसानों को अपनी मेहनत का उचित दाम मिले।
ऐसे में ये हैरान होने वाली बात तो है ही कि आखिर एक साल में बीकेयू इतना बड़ा यूटर्न कैसे ले सकती है, क्योंकि वह तो अपनी माँगों में कृषि क्षेत्र में किसानों के हित के लिए बिचौलियों को हटाना चाहते थे।
यहाँ बता दें कि जब से केंद्र सरकार ने नए कानूनों को लागू किया है, तभी से विरोधी पार्टी इस पर भ्रम पैदा कर रही हैं। ये तीन कानून पीएम मोदी के ‘एक भारत एक कृषि बाजार’ विजन का हिस्सा है, जिससे किसानों के लिए अच्छा माहौल बने। लेकिन अब इन प्रदर्शनों के जरिए राष्ट्र विरोधी ताकतें अपनी आवाजें उठा रही हैं और अशांति फैलाने की लगातार कोशिश कर रही हैं।