5 जनवरी, 2022 को बठिंडा के हुसैनीवाला में स्वतंत्रता के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को रोकने के लिए किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा फ्लाईओवर जाम कर दिया गया, जिस कारण उन्हें 20 मिनट तक वहाँ फँसे रहने के बाद वापस दिल्ली लौटना पड़ा। इस मामले में पंजाब पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे, जो प्रदर्शनकारियों के साथ चाय की चुस्की लेते हुए दिखी। पंजाब सरकार बयान बदलती रही। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा और जाँच के लिए कमिटी बनी।
इस मामले में ‘इंडिया टुडे’ ने अपनी ‘ऑन ग्राउंड इन्वेस्टीगेशन‘ के आधार पर खुलासा किया है कि पंजाब पुलिस ने जानबूझ कर कार्रवाई नहीं की और उसे सब पहले से पता था। इस ‘स्टिंग ऑपरेशन’ में सबसे पहले ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार ने फिरोजपुर के एसपी सुखदेव सिंह से मुलाकात की। परम मोदी की उस दिन फिरोजपुर में ही रैली थी, जिसे रद्द करना पड़ा था। इसमें उनसे पूछा गया कि आखिर राज्य की ख़ुफ़िया व्यवस्था इस प्रकरण में विफल कैसे हो गई?
इस पर उन्होंने बताया कि एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को 2 जनवरी को ही इस सम्बन्ध में एक पत्र भेज कर सुझाव दिया गया था कि कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर ट्रैफिक रोका जाए और भाजपा कार्यकर्ताओं को पीएम मोदी की रैली तक पहुँचने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार रिपोर्ट भेज कर आगाह किया गया कि प्रदर्शनकारी रैली के पंडाल में घुस सकते हैं और पुलिस द्वारा रोके जाने पर सड़क पर ही धरना देकर जाम लगा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि ‘बलदेव सिंह जीरा ग्रुप [भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी]’ ने पहले ही भीड़ जुटाने की साजिश रची थी। उन्होंने आगे मार्च किया और सड़क जाम कर दिया। इसके बाद फिर से पुलिस को सूचित किया गया। उन्होंने बताया कि 2, 3, 4 जनवरी को ADG (सिक्योरिटी) नागेश्वर राव आए भी थे, जिन्हें ब्लॉकेड के सम्बन्ध में आगाह करते हुए पत्र दिया गया। बता दें कि पीएम मोदी पहले हैलीकॉप्टर से फिरोजपुर जाने वाले थे, लेकिन मौसम खराब रहने के कारण उन्हें गाड़ी से यात्रा की योजना बनानी पड़ी।
हालाँकि, इस सम्बन्ध में SPG ने पहले ही पंजाब के प्रशासन से कह दिया था कि मौसम खराब रहने की स्थिति में सड़क से प्रधानमंत्री की यात्रा होगी और इस सम्बन्ध में प्रबंध किए जाएँ। यात्रा के दिन पुलिस अधिकारियों ने ख़ुफ़िया इनपुट्स पर चर्चा भी की थी। ‘इंडिया टुडे’ ने उस दिन की तस्वीरों के आधार पर खुलासा किया कि इसके बावजूद सड़क को क्लियर नहीं किया गया था। एसपी सुखदेव सिंह ने बताया कि उन्होंने एसएसपी को पहले से प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों को लेकर सन्देश भेज दिया था।
उन्होंने बताया, “दोपहर से पहले 11:45 में प्रदर्शनकारियों ने भीड़ जुटा दिया और वो मोगा रोड की तरफ बढ़ने लगे। इस सन्देश को दोपहर 12:07 में भेजा गया। इसके बाद 12:20 में फिरोजशाह बैरिकेड को तोड़ डाला गया। प्रदर्शनकारी उसी रूट पर आगे बढ़ रहे थे, जिधर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा तय थी। इस सम्बन्ध में 12:32 में मैसेज भेजा गया। पौने 1 बजे SSP को सूचित किया गया कि 200-225 प्रदर्शनकारियों ने VVIP रूट को ब्लॉक कर दिया है।”
12:50 में सुखदेव सिंह को बठिंडा के एसपी से ये पूछने के लिए कॉल किया गया कि क्या कोई ट्रैफिक जाम है? बकौल सुखदेव सिंह, जब उन्होंने बताया कि पूरी सड़क ही जाम है तब दूसरी तरफ से बठिंडा के एसपी ने कहा, “हम सब तो गए!” 12:52 में पीएम मोदी का काफिला वहाँ पहुँचा और 1:10 में उन्हें वापस लौटना पड़ा। फिरोजपुर स्थित कुलगढ़ी पुलिस थाने के SHO बीरबल सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए राज्य सरकार का कोई आदेश नहीं आया।
Big expose on PM @NarendraModi ji's security breach by Punjab Police.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) January 11, 2022
Ahead of PM Modi’s visit, Punjab Police knew about protesting farmers but didn’t act.
📖 https://t.co/lXzerJRu5M pic.twitter.com/rIG8EeTYVw
उन्होंने कहा, “कुछ लोग गुस्से में हैं। वो जमा हो गए हैं। ये उनकी जगह है। ये उनकी जगह है। उनके अधिकार हैं। हम क्या कर सकते हैं? राज्य सरकार ने हमें आदेश नहीं दिया कि उनकी पिटाई करो। अगर हमें आदेश मिलता कि लाठी, आँसू गैस या गोली का इस्तेमाल कर उन्हें तितर-बितर किया जाए, तो हम उन्हें हटा सकते थे। लेकिन, चुनाव आ रहे हैं। हम बल का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। अचानक से प्रदर्शनकारी जुट गए। कम्युनिकेशन गैप के कारण मुझे विरोध प्रदर्शन का पता नहीं चला।”
उन्होंने दावा किया कि उस दिन जिन प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम किया, वो किसानों के वेश में कट्टरवादी ताकतें थीं। प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन करते हुए फ्लाईओवर के पास एक बाजार को भी खुला रखा गया था, जिसके अंदर एक शराब की दुकान भी बेधड़क खुली हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने गाँव वालों को भी सड़क जाम करने के लिए उकसाया। लाठी लेकर दौड़ रहे युवक ग्रामीणों को जमा कर रहे थे। कई किसान यूनियन वहाँ सक्रिय थे। एक ग्रामीण ने बताया कि गुरुद्वारा पर सन्देश भेजा गया कि लोग जमा हों।