Saturday, November 16, 2024
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क्या है सुकन्या देवी रेप केस जिसमें राहुल गाँधी थे आरोपित, कोर्ट ने कर दिया था खारिज

कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह की तुलना अपराधी जोड़ी रंगा-बिल्ला से कर दी। साथ ही चीन से धन प्राप्त करने का आरोप भी लगाया। जिस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कॉन्ग्रेस प्रवक्ता को सुकन्या देवी रेप केस याद दिला दिया। जिसमें पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी आरोपित थे।

राजीव गाँधी फाउंडेशन पर जाँच को लेकर कल एक टीवी डिबेट में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा और कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता गौरव बल्लभ के बीच बहस आगे बढ़ते-बढ़ते एक पुराने रेप के मामले पर अटक गई जिसमें राहुल गाँधी को आरोपित बनाया गया था। हालाँकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उस आरोप को ख़ारिज कर दिया था।

इस डिबेट में राजीव गाँधी फाउंडेशन में सोनिया गाँधी की भूमिका और उस पर लगे हालिया आरोपों के मद्देनजर जाँच को कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने जहाँ चीन से ध्यान हटाने वाला बताकर ख़ारिज करना चाहा। और साथ ही साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह की तुलना रेपिस्ट अपराधी जोड़ी रंगा-बिल्ला से कर दी। यहाँ तक की राजीव गाँधी फाउंडेशन पर चीन से धन हासिल करने के आरोपों से पीछा छुड़ाने के लिए बीजेपी पर चीन से धन प्राप्त करने का आरोप भी लगाया।

जिस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कॉन्ग्रेस प्रवक्ता को करारा जवाब दिया और इस असंगत तुलना पर खरी-खोटी सुनाई। साथ ही बीजेपी के दो शीर्ष नेताओं की तुलना रेपिस्ट रंगा-बिल्ला से करने पर कॉन्ग्रेस प्रवक्ता को सुकन्या देवी रेप केस याद दिला दिया। जिसमें पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी आरोपित थे।

अब जब सुकन्या देवी मामला फिर से उछला है तो आइए जानते हैं कि क्या था सुकन्या देवी रेप केस, जिसमें खुद कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भी आरोपित बनाए गए थे।

क्या था ‘सुकन्या देवी’ मामला

सुकन्या देवी मामला उस आरोप से संबंधित है, जिसमें राहुल गाँधी और उनके दोस्तों पर यूपी के एक स्थानीय कॉन्ग्रेस नेता की बेटी सुकन्या देवी के साथ 2006 में अमेठी में बलात्कार करने का आरोप लगाया लगाया गया था। शुरू में इस आरोप को कई ब्लॉगर्स द्वारा उठाया गया था। उसमें कहा गया था कि कथित घटना को लेकर शिकायत करने के लिए सोनिया गाँधी से मिलने के बाद लड़की और उसके माता-पिता गायब हो गए थे।

आरोपों में कहा गया कि सुकन्या, बलराम सिंह नामक कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता की बेटी थी, और वह आरोपित राहुल गाँधी की बहुत बड़ी प्रशंसक थी। आरोप लगाया गया कि जब राहुल गाँधी अमेठी गेस्ट हाउस में अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे थे, तो वह उनसे मिलने के लिए वहाँ गई थीं, जहाँ आरोपित राहुल गाँधी और उनके 7 दोस्तों ने उनका कथित तौर पर बलात्कार किया था, जिनमें से 2 ब्रिटेन के थे और 2 अन्य इटली के थे।

जाहिर है कि वह किसी तरह इस घटना के बाद भाग निकली और कई लोगों से संपर्क किया लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। आरोपों में यह भी कहा गया कि सुकन्या देवी अपने पिता बलराम सिंह और माँ सुमित्रा देवी के साथ सोनिया गाँधी और मानवाधिकार आयोग से मिलीं, मगर उसके बाद उसका पूरा परिवार लापता हो गया। आरोप यह भी था कि ध्रुपद नाम का वीडियोग्राफर और एक न्यूज चैनल का एक कैमरामैन, जिन्होंने सुकन्या का बयान रिकॉर्ड किया था, उसके बाद वो भी लापता हो गए।

हालाँकि, उस समय इन आरोपों को मेन स्ट्रीम मीडिया ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया और केवल कुछ सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा इसे उठाया गया, लेकिन जब 2011 में सपा विधायक किशोर समरते ने इसे उठाया तो मीडिया को इसकी रिपोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा। समरीते ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामला भी दायर किया था, जिसमें कथित बलात्कार और सुकन्या के माता-पिता के गायब होने को लेकर जाँच की माँग की गई थी।

विधायक ने कहा था कि जब वह गाँव गए थे, तो उन्होंने पाया था कि उसके परिवार ने घर को छोड़ दिया था और पड़ोसी उस परिवार के दिल्ली जाने के बाद रहस्यमय तरीके से गायब होने की बात से अनजान थे।

लेकिन अदालत के आदेश पर पुलिस द्वारा की गई जाँच में आरोपों में कोई सच्चाई नहीं पाई गई। जाँच में पाया गया कि किशोर समरिते द्वारा बताया गया परिवार का पता मौजूद नहीं है। इसके अलावा, गजेंद्र पाल नाम के एक अन्य व्यक्ति ने बलराम और सुकन्या के दोस्त के रूप में अदालत में एक और याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि समरिते ने एक झूठी याचिका दायर की थी जो राजनीति से प्रेरित थी।

जाँच में यह भी पाया गया कि बलराम सिंह ने अपना घर बेच दिया था और दूसरी जगह चले गए थे, और उनकी पत्नी और बेटी के नामों का ब्लॉगों में गलत उल्लेख किया गया था। उनकी पत्नी सुशीला देवी थीं और उनकी सबसे बड़ी बेटी कीर्ति सिंह थीं। उन्होंने जानकारी दी थी कि मीडिया में दावा करने वाले कुछ लोग उनके घर आए थे और उन्हें सुकन्या देवी की तस्वीर दिखाते हुए पूछा कि क्या वह उनकी बेटी है। उन्होंने उन्हें बताया था कि यह एक अलग महिला थी न कि उनकी बेटी।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कीर्ति देवी एक अलग महिला थी, और उसे इस केस को कमजोर करने के लिए इसमें शामिल किया गया था।

मगर हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं, किशोर सम्राट और गजेंद्र पाल को जुर्माना भरने के लिए कहा था। किशोर पर ‘झूठ’के आधार पर एक याचिका दायर करने के लिए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था, जिसमें से 25 लाख कीर्ति सिंह को, 20 लाख राहुल गाँधी को और 5 लाख यूपी के डीजीपी को इनाम के रूप में दिए जाने थे।

दूसरी ओर, गजेंद्र पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया था, क्योंकि उनके पास मामले में उनका उस परिवार से कोई संबंध नहीं था। इस तथ्य के बावजूद कि परिवार ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी, अदालत ने गजेन्द्र पाल को उस परिवार को अदालत में घसीटने के लिए भी फटकारा।

इसके बाद किशोर समरीते ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी 2012 में आरोपों को खारिज कर दिया था, और समरिते पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, जबकि उच्च न्यायालय के जुर्माने को 50 लाख रुपए से घटाकर 10 लाख रुपए कर दिया था।

अदालत ने उल्लेख किया था कि “कोई भी साक्ष्य नहीं है” यह दिखाने के लिए कि कथित घटना 2006 में हुई थी। इसके अलावा, समरिते ने सुनवाई के दौरान यू-टर्न लेते हुए कहा था कि उन्हें इस मामले की कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है और उन्होंने सपा नेतृत्व के निर्देश पर यह याचिका दायर की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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