तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों का आज चार घंटे के राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ आंदोलन किया था। हालाँकि, यह प्रदर्शन बिना किसी अप्रिय घटना के पूरा हो गया। देशभर में ट्रेनों के परिचालन पर इसका काफी कम असर देखा गया। ट्रेन नाकाबंदी के कारण देश में कुछ स्थानों पर कुछ ट्रेनों रोका गया, लेकिन ज्यादातर रेल ट्रैक क्लियर रहे।
Haryana: Farmers block railway tracks in Ambala during their nationwide 'rail roko' agitation against agriculture laws. pic.twitter.com/gbp3PmJgUF
— ANI (@ANI) February 18, 2021
देश के कुल 18 रेलवे क्षेत्रों में से 8 ट्रेनों के क्षेत्र में एक भी ट्रेन रोकने जैसा मामला सामने नहीं आया है। यह सभी जोन विरोध प्रदर्शन से दूर ही रहे। रेल रोको विरोध प्रदर्शन से जो आठ जोन सुरक्षित रहे उनमें उत्तर मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, दक्षिणी रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, उत्तर पूर्व रेलवे मध्य रेलवे और दक्षिण पश्चिम रेलवे शामिल थे।
Jammu and Kashmir: Farmers under the aegis of United-Kissan Front demonstrate at railway track in Jammu's Channi Himat area as part of 4 hour nationwide 'rail roko' agitation against #FarmLaws pic.twitter.com/pRVo5CU5PD
— ANI (@ANI) February 18, 2021
बता दें रेल रोको’ ’विरोध की घोषणा कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) द्वारा की गई थी। किसान यूनियन के कार्यकर्ता आज देश के कई स्थानों पर मौजूद रेलवे स्टेशनों पर एकत्र हुए और 12 बजे से 4 बजे तक यानी चार घंटे के विरोध प्रदर्शन के तहत रेल पटरियों को ब्लॉक कर दिया था।
गणतंत्र दिवस के मौके पर उग्र हुए प्रदर्शनकारियों की हरकतों को मद्देनजर रखते हुए रेलवे ने विरोध प्रदर्शन के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में आरपीएसएफ की 20 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात कर दिया था।
गौरतलब है कि उत्तरी क्षेत्र में भी ‘रेल रोको’ विरोध का प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिला। जहाँ से लगभग 25 ट्रेनों को रेगुलेट किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर ट्रेनों की आवाजाही बाधित किया। लेकिन चार घंटे के लिए विरोध प्रदर्शन के कारण, ट्रेनों को रद्द करने के बजाय कुछ देरी के साथ चलाया गया।
उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली के बाद किसानों द्वारा किया गया रेलवे नाकाबंदी तीसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन था। एक तरफ जहाँ 26 जनवरी को तथाकथित किसानों ने दिल्ली में जमकर उपद्रव मचाया था, तो वहीं घटना को मद्देनजर रखते हुए 6 फरवरी को हुए ‘चक्का जाम’ को भी पुलिसकर्मियों की सख्ती के अंतर्गत ही किया गया था। किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि ‘रेल रोको’ विरोध शांतिपूर्ण होगा और यात्रियों को असुविधा नहीं होगी।