राजस्थान के दौसा में डॉक्टर अर्चना शर्मा की आत्महत्या मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने DG को निष्पक्ष जाँच के निर्देश दिए हैं। साथ ही अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें यह सुनिश्चित करने भी कहा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ फिर न हो। मुख्यमंत्री के आदेश पर दौसा के SP को हटा दिया गया है। स्थानीय थानेदार को सस्पेंड किया गया है। इस क्षेत्र के DSP को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है।
मामले की जाँच जयपुर के डिविजनल कमिश्नर दिनेश कुमार यादव को सौंपी गई है। सुसाइड करने वाली महिला डॉक्टर के पति डॉक्टर सुनीत उपाध्याय की तहरीर पर एक स्थानीय नेता शिव शंकर बाल्या जोशी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इलाज के दौरान प्रसूता की मौत के बाद डॉक्टर अर्चना शर्मा पर हुई एफआईआर में जोशी की मुख्य भूमिका बताई जा रही है। डॉक्टर सुनीत उपाध्याय ने अपनी शिकायत में बताया है कि जोशी पहले भी कई बार हॉस्पिटल में आकर धमकी दे चुका था। उन्होंने इस संबंध में शिकायत भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शिकायत में डॉक्टर उपाध्याय ने राजस्थान पत्रिका पर एकपक्षीय रिपोर्टिंग का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि राजस्थान पत्रिका की प्रकाशित रिपोर्ट में उनका पक्ष नहीं लिया गया। कहा है कि मीडिया वाले भी ऐसे मामलों में दलाली करते हैं। उन्होंने पत्रिका के रिपोर्टर महेश के खिलाफ भी पूर्व में पुलिस से शिकायत किए जाने और कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही है। डॉक्टर उपाध्याय ने उनके अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को ‘लाश पर राजनीति करने वाले गिद्ध’ कहा है।
क्या है पूरा मामला
राजस्थान के दौसा जिले में महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा ने मंगलवार (29 मार्च 2022) को अपने घर में ही फाँसी लगा ली थी। ऐसा उन्होंने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए किया था। उनके ऊपर लालसोट थाने में हत्या की धारा (302) में FIR दर्ज हुई थी। ऐसा एक महिला की प्रसव के दौरान हुई मौत से हुए हंगामे के बाद हुआ था। इस मामले में सोशल मीडिया पर एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। ऑडियो में एक व्यक्ति खुद को दलित नेता बताते हुए मृतक मरीज के परिजनों को उकसाते हुए रुपए के लेन-देन और मुआवजे की बात कह रहा। हालाँकि, ऑपइंडिया इस इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।