धार्मिक नेता शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बुधवार (जनवरी 30, 2019) को बयान दिया कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत 21 फरवरी को होगी, चाहे फिर वहाँ सभा करने वालों को गोलियों का सामना करना पड़े।
प्रयागराज में कुंभ मेले में 3 दिनों की मंडली के अंत में राम मंदिर शिलान्यास करने की योजना बनाई गई थी। शंकराचार्य ने कहा कि साधु बसंत पंचमी (10 फरवरी) के बाद प्रयागराज से अयोध्या के लिए मार्च शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि वे गोलियों का सामना करने के लिए तैयार हैं और गिरफ़्तारी या इस प्रकार की अन्य किसी कार्रवाई से संतों के इस अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शंकराचार्य ने भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली सरकार की मंदिर निर्माण के लिए कानून नहीं लाने के लिए आलोचना की, उन्होंने कहा कि उनके पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत था फिर भी प्रयास नहीं किए गए। प्रयागराज में चल रहे कुंभ में आज वृहस्पतिवार से विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की दो दिवसीय धर्म संसद की शुरुआत होने जा रही है। धर्म संसद के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद होंगे।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यह घोषणा ऐसे समय में की है, जब केंद्र सरकार ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति माँगने के लिये उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। एक नई याचिका में केन्द्र ने कहा कि उसने 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के पास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था।
याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि न्यास (राम मंदिर निर्माण को प्रोत्साहन देने वाला ट्रस्ट) ने 1991 में अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की माँग की थी। शीर्ष अदालत ने पहले विवादित स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने 1991 में विवादित स्थल के पास की 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था।