चारा घोटाला में डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ के अवैध निकासी के मामले में राँची में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार (15 फरवरी 2022) को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया। दोषी करार दिए जाते ही उन्होंने अदालत में आवेदन दायर कर खुद को बीमार बताया और अस्पताल भेजने की गुजारिश की। लालू यादव की सजा पर फैसला 21 फरवरी को होगा। चारा घोटाले से संबंधित 5 मामलों में से चार में लालू यादव दोषी सिद्ध हो चुके हैं।
इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव मुख्य आरोपित थे। कोर्ट का फैसला आते ही बाहर मौजूद राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई। फैसला सुनाए जाते समय लालू यादव की बेटी और सांसद मीसा भारती उनके साथ मौजूद रहीं।
Fodder scam: RJD chief Lalu Prasad Yadav convicted of fraudulent withdrawal from Doranda treasury by a CBI Special Court in Ranchi pic.twitter.com/J9AvvhmOjk
— ANI (@ANI) February 15, 2022
डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी की पूरी कहानी दिलचस्प है। यह तो सभी को पता है कि इस घोटाले में लाखों टन भूसा, पुआल, पीली मकई, बादाम खली, नमक आदि स्कूटर, बाइक और मोपेड पर ढोए गए थे, लेकिन दिलचस्प यह है कि हरियाणा से बढ़िया नस्ल के साँड़, बछिया और हाईब्रिड भैंस भी स्कूटर से ही झारखंड लाए गए थे, ताकि यहाँ अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों तैयार किए जा सकें। यह कांड वर्ष 1990 से 1992 के बीच का है।
चारा घोटाले के रिकॉर्ड के अनुसार, 235250 रुपए में 50 साँड़ और 14,04,825 रुपए में 163 साँड़ और 65 बछिया खरीदे गए। इनकी आपूर्ति दिल्ली की कंपनी हिंदुस्तान लाइव स्टाक एजेंसी ने किया था। इसी तरह से बछिया और हाईब्रिड भैंसों की कीमत 84 लाख 93 हजार 900 रुपए थी। भेड़ और बकरा 27 लाख 48 हजार रुपए के खरीदे गए थे।
इस मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपित आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपित पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं। वहीं, 6 आरोपित तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी हैं, जबकि मामले के 6 आरोपित ऐसे हैं, जिन्हें CBI आज तक नहीं खोज सकी है।
सीबीआइ की जाँच में यह पाया गया कि पशुपालन विभाग के बजट बनाने में खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया और फर्जी बिल के आधार पर निकासी की गई थी। इस मामले में तीन माह में आठ करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी कर ली गई, लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया था, क्योंकि सभी लोगों को मिलीभगत से यह घोटाला चल रहा था।