Thursday, May 9, 2024
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22 साल बाद साधु के भेष में बेटा अरुण नहीं ठग नफीस आया, इमोशनल वीडियो वायरल होने के बाद लोकल मीडिया ने किया खुलासा

उत्तर प्रदेश के अमेठी से कुछ दिन पहले खबर आई थी कि वहाँ जायस के खरौली गाँव में एक परिवार को साधू भेष में उनका खोया बेटा अरुण वापस मिला है। लेकिन, अब खबर आई है कि वो कोई अरुण नहीं बल्कि नफीस है जो परिवार से लाखों रुपए लूटने आया था।

उत्तर प्रदेश के अमेठी में फ्रॉडगिरी का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुन आप भी हैरान रह जाएँगे। कुछ दिन पहले खबर आई थी कि वहाँ जायस के खरौली गाँव में एक परिवार को साधु भेष में उनका खोया बेटा अरुण वापस मिला है। लेकिन अब खबर आई है कि वो कोई अरुण नहीं, बल्कि नफीस है जो परिवार से लाखों रुपए लूटने आया था।

ये खुलासा दैनिक जागरण ने और लोकल मीडिया यूट्यूब चैनल ‘जैसी पत्रकारिता’ ने अपनी पड़ताल में किया है। जागरण ने बताया कि खरौली गाँव में अरुण का परिवार अपने बेटे की शक्ल वाले साधु भेष में घूम रहे शख्स को देख फफक पड़े थे। उन्होंने उसे अपना बेटा अरुण मान लिया था।

परिवारवाले कोशिश कर रहे थे कि बेटा किसी तरह साधु का भेष छोड़ गृहस्थ जीवन जीने लगे। पहले तो इसके लिए उस शख्स ने मना किया, लेकिन बाद में फोन कर कहने लगा कि अगर उसे वापस पाना है तो उसके मठ को 10 लाख रुपए देने होंगे।

परिवार को बेटा वापस चाहिए था तो वो अपनी 14 बिस्वा जमीन बेचकर बेटा वापस पाने की तैयारी में जुट गए। पूरा सौदा 3 लाख 60 हजार में जाकर तय हुआ। लेकिन इसी बीच पता चला कि जिस लड़के के लिए परिवार अपना सबकुछ बेचने के तैयार हो गया है वो उनका बेटा नहीं बल्कि ठग नफीस है जो असल में गोंडा के टिकरिया गाँव का है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि नफीस जिस गाँव का रहने वाला है वहाँ के कुछ लोग ठगी के आरोप में जेल तक जा चुके हैं। नफीस का खुद का भाई राशिद 29 जुलाई 2021 को जोगी बनकर मिर्जापुर के सहसपुरा परसोधा गाँव पहुँचा था। वहाँ भी बुधिराम विश्वकर्मा का बेटा रवि 14 साल पहले गायब हुआ था। उस परिवार ने भी राशिद को अपना बेटा रवि समझ घर में जगह दे दी थी। बाद में वही राशिद लाखों लेकर फरार हो गया था।

इस बार यही ठगी का तरीका नफीस ने अपनाया। वो अमेठी के खरौली गाँव साधु के भेष में पहुँचा और उस परिवार को निशाना बनाया जिन्होंने अपना बच्चा खोया था। उसने उनकी भावनाओं का इस्तेमाल कर उन्हें बेवकूफ बनाया। 27 जनवरी को खरौली पहुँच उसने कहा कि उसने झारखंड के पारसनाथ मठ में शिक्षा ली है और उसके गुरु ने कहा कि वह अयोध्या दर्शन के बाद अपने गाँव जाकर परिजनों से भिक्षा माँगे तभी उसकी दीक्षा पूरी होगी।

परिवार ने इतना सुन उसे 1 फरवरी को 13 क्विंटल अनाज दिया और संपर्क में रहने के लिए एक मोबाइल भी दिया। बाद में वो सामान पिक अप में लादकर अयोध्या ले जाया गया। जब 9 फरवरी को रतीपाल उनके बताए अयोध्या के अड्रेस पर पहुँचे तो वहाँ कुछ नहीं मिला।

रिपोर्ट बताती है कि जिस मठ का नाम लेकर नफीस ये ठगी को अंजाम दे रहा था वैसा कोई मठ झारखंड में है ही नहीं। इस घटना के बाद पुलिस ने लोगों को ऐसे ठगों से सतर्क रहने की हिदायत दी है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि परिवार के साथ किसी प्रकार की धोखाघड़ी नहीं होने दी जाएगी। मामले पर पुलिस लगातार नजर बनाए हुए है।

वहीं जैसी पत्रकारिता के चैनल पर एक ऑडियो भी डाली गई है जिसमें एक शख्स दावा कर रहा है कि जो युवक परिवार से मिला वो अरुण नहीं बल्कि टिकरिया गाँव का नफीस है। इस ऑडियो को वीडियो में ढाई मिनट के बाद सुना गया था। वीडियो को यूट्यूब पर देखा जा सकता है। एक वीडियो में ऑडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से खुलासा है और एक में ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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