राजस्थान की भजनलाल शर्मा की सरकार ने फर्जी डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन मामले में बड़ा एक्शन लिया है। स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने 98 फर्जी डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन करने वाले रजिस्ट्रार को सस्पेंड करने का आदेश दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले में जाँच कमिटी बनाई थी, उसी की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई हुई है।
समाचार पत्र दैनिक भास्कर के रिपोर्टर अवधेश अकोदिया ने हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया था कि राजस्थान मेडिकल काउंसिल (RMC) के भीतर 98 अयोग्य लोगों को डॉक्टर के रूप में रजिस्टर किया गया था। इनके पास डॉक्टरी की कोई योग्यता नहीं थी और इन्होने फर्जी कागज रजिस्ट्रेशन के लिए लगाए थे। इन 98 में से 1 ने भी MBBS की पढ़ाई नहीं की थी। कई ने बाहरी राज्यों के फर्जी प्रमाण पत्र और डिग्री RMC को दिए थे और प्रैक्टिस की अनुमति हासिल कर ली थी।
भास्कर ने यह भी खुलासा किया था कि इस मामले में RMC के रजिस्ट्रार डॉक्टर राजेश शर्मा की संलिप्तता थी। भास्कर के खुलासे के बाद स्वास्थ्य सचिव गायत्री राठौड़ के निर्देशन में एक जाँच कमिटी बनाई गई थी। इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में गड़बड़ी की बात मानी है। इसके बाद राजेश शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। राजेश शर्मा की जगह सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर गिरधर गोयल को रजिस्ट्रार का अतिरक्त प्रभार दे दिया है।
अपनी रिपोर्ट में दैनिक भास्कर के रिपोर्टर अवधेश अकोदिया ने बताया था कि जब उन्होंने RMC के रजिस्ट्रार राजेश शर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने गलती सुधारने की बजाय ₹10 लाख की रिश्वत का ऑफर अकोदिया को दे दिया था। स्वास्थ्य मंत्री खींवसर ने इस मामले को गंभीर अपराध बताया था। उन्होंने इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई की बात भी कही थी।
रिपोर्ट से पता चला था कि RMC के पास जब ऑनलाइन आवेदन आए तो उन्होंने कोई वेरिफिकेशन नहीं किया, बल्कि जाली ईमेल अटैच करके सत्यापन की सारी प्रक्रिया पूरी कर दी। इन कथित डॉक्टरों ने ऑनलाइन आवेदन करते समय बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन और एनओसी के फर्जी दस्तावेज अटैच किए थे। RMC ने बिना किसी की डिग्री की पड़ताल किए ही उन्हें सर्टिफिकेट जारी कर दिया। इन फर्जी डॉक्टरों में से कुछ सर्जन हैं तो कुछ गाइनी।
रिपोर्ट में ऐसे कुछ डॉक्टरों के नाम भी उजागर किए हैं। जैसे डॉ. सरिमुल एच मजूमदार, डॉ. रामकिशोर महावर, डॉ. गीता कुमारी, डॉ. देवेंद्र नेहरा, डॉ. शांतनु कुमार, डॉ. पंकज यादव, डॉ. महेश कुमार गुर्जर आदि। इन फर्जी डॉक्टरों ने न तो कभी मेडिकल की पढ़ाई की और न ही इंटर्नशिप का। बावजूद इनको सरकारी मुहर लगाकर डॉक्टर होने का प्रमाण पत्र बाँट दिया गया। इस मामले में अब RMC के अंतर्गत रजिस्टर्ड सभी डॉक्टरों की जाँच की माँग की गई है।