Thursday, November 7, 2024
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मजदूरी से परिवार चलाने वाले 3 भाइयों की मौत, माँ के निधन पर लौटे बेटे की भी गई जान… मानवता की भी परीक्षा ले रही ओडिशा ट्रेन दुर्घटना

मृतकों की पहचान हरन गायेन, निशिकांत गायेन, दिबाकर गायेन के रूप में हुई। ये तीनों मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 280 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हादसे में घायल हुए कई लोगों की हालत बेहद गंभीर है। ऐसे में मौत का आँकड़ा बढ़ सकता है। इस हादसे में माँ-बाप की मौत के बाद एक बच्चे ने रो-रोकर अपनी जान दे दी। वहीं, पश्चिम बंगाल के तीन भाइयों की भी मौत हो गई। 

इसी तरह परिवार पर चढ़े कर्ज को उतारने निकले बाप-बेटे में से बेटा लापता है। वहीं, माँ के निधन के कारण 14 साल बाद घर लौटे एक व्यक्ति की मौत हो गई। उसके भाई लाशों के ढेर में अपने भाई की पहचान करने में जुटे हुए हैं।

माँ-बाप की की मौत के बाद बेटे ने रो-रो कर त्यागे प्राण

बीबीसी से हुई बातचीत में एक स्थानीय चश्मदीद टूटू विश्वास ने कहा है कि घटना के समय अपने घर पर थे। तभी धमाके जैसी आवाज आई। घर से बाहर आकर देखा तो ट्रेन माल गाड़ी के ऊपर चढ़ी हुई थी। ट्रेन के करीब जाने पर उन्हें बहुत सारे लोग दिखाई दिए। इनमें अधिकांश लोग घायल थे। वहीं कई लोगों की मौत हो चुकी थी। ट्रेन के करीब ही एक बच्चा रो रहा था। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी थी। थोड़ा देर बार रोते-रोते बच्चे की भी मौत हो गई।

एक ही परिवार के तीन भाइयों की मौत

‘आज तक’ की रिपोर्ट के अनुसार, बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस में हुए हादसे में एक ही परिवार के तीन लोग काल के गाल में समा गए। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के बसंती इलाके में रहने वाले तीनों आपस में भाई थे। मृतकों की पहचान हरन गायेन, निशिकांत गायेन, दिबाकर गायेन के रूप में हुई। ये तीनों मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। मजदूरी के सिलसिले में ही तीनों आंध्र प्रदेश जा रहे थे। लेकिन, उससे पहले ही यह हादसा हो गया।

बेटे की लाश तलाशता फिर रहा बाप

बाप-बेटे अपने परिवार पर चढ़े 15 लाख रुपए का कर्ज उतारने के लिए घर से कमाने के लिए निकले थे। हादसे के बाद बेटा लापता हो गया है। लाशों के ढेर के बीच बाप बेटे को तलाशता फिर रहा है। एनबीटी से हुई बातचीत में 53 वर्षीय रवींद्र शॉ ने कहा है वह और उनका बेटा ट्रेन में बैठकर कर्ज उतारने के बारे में बात कर रहे थे। दोनों भविष्य को लेकर चिंतित थे कि आखिर कितना पैसा कमाने के बाद वे कर्ज मुक्त हो पाएँगे। इसी दौरान यह हादसा हो गया। 

रवींद्र शॉ ने आगे कहा है हादसे के बाद जब उन्हें होश आया तो उनका बेटा लापता हो चुका था। हर तरफ लाशें और लोगों के शरीर के टुकड़े दिखाई दे रहे थे। कटे सर से लेकर धड़ों को वह गौर से देख रहे थे। किसी के शरीर का कोई अंग देखकर वह उसे उठाकर देखते कि कहीं वह उनके बेटे का तो नहीं। यहाँ तक कि लाशों के ढेर में भी उन्होंने अपने बेटे को तलाश करने की कोशिश की। लेकिन उनका बेटा नहीं मिल सका।

माँ के निधन पर 14 साल बाद घर वापस आया, अब मौत

ओडिशा के बालासोर में हुए इस हादसे में स्थानीय लोग भी घटना का शिकार हो गए। बालासोर के रहने वाले रमेश चेन्नई में रहते हैं। वह अपनी माँ के निधन के बाद 14 साल बाद घर वापस आए थे। सभी क्रियाकर्म करने के बाद वह वापस चेन्नई लौट रहे थे। तभी यह हादसा हो गया। रमेश के दोनों भाई अब घटना स्थल से लेकर हॉस्पिटल तक अपने भाई को ढूँढ़ने में लगे हुए हैं। मृतक रमेश के भाई ने जागरण से हुई बातचीत में कहा है कि उनका भाई शाम 6 बजे ट्रेन में सवार हुआ था और करीब एक घण्टे बाद यह हादसा हो गया। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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