मनी लांड्रिंग केस में बच निकलने का जुगाड़ निकाल रहीं वामपंथी प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राणा अयूब की उस याचिका को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने गाजियाबाद की एक अदालत द्वारा जारी सम्मन को चुनौती थी जिसमें उनसे हाजिर होने को कहा गया था। सम्मन के मुताबिक राणा को 27 दिसंबर 2022 तक कोर्ट में हाजिर होना था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। याचिका ख़ारिज होने के बाद अब राणा अयूब को अदालत में हाजिर होना ही पड़ेगा। अयूब के खिलाफ मनी लांड्रिंग का यह केस प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दर्ज करवाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राणा अयूब की तरफ से सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं थीं। राणा अयूब को गाजियाबाद की विशेष अदालत ने 27 दिसंबर 2022 को पेश होने का निर्देश दिया था। इस निर्देश और सम्मन के खिलाफ राणा अयूब सुप्रीम कोर्ट गईं थीं जिस पर 31 जनवरी 2023 को सुनवाई हुई थी। सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षा रख लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने राणा अयूब की याचिका ख़ारिज कर दी है। याचिका ख़ारिज होने के बाद राणा अयूब पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
BREAKING: Big setback to journalist Rana Ayyub as Supreme Court dismissed her plea challenging the summons issued to her by a special PMLA court in Ghaziabad in a money laundering case lodged against her by the Enforcement Directorate. @RanaAyyub pic.twitter.com/v9mthIV2f1
— Law Today (@LawTodayLive) February 7, 2023
क्या है पूरा मामला
दरअसल राणा अयूब पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘Ketto’ के जरिए अवैध तौर पर पैसे जुटाने का आरोप है। ये पैसे कोरोना काल के दौरान गरीबों की मदद के लिए जुटाए गए लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हुआ। दान की यह राशि ₹2.69 करोड़ बताई जा रही है। आरोप है कि जनसेवा के लिए मिले पैसे का प्रयोग राणा अयूब ने अपने और अपने परिवार के लिए किया और उससे बैंक के एफ डी बनवा डाली। मामले की जाँच कर रही ED ने इस बावत केस दर्ज करवाया और अक्टूबर 2022 में अदालत में पर्याप्त सबूत भी जमा करने का दावा करते हुए चार्जशीट दाखिल की है।
हालाँकि राणा अयूब ने इस मामले में खुद को बेगुनाह बताते हुए इस केस को खुद को फँसाने की साजिश बताया। इस मामले में गाजियाबाद की PMLA स्पेशल कोर्ट ने पहले तो राणा अयूब को जमानत दे दी थी लेकिन बाद में ED द्वारा सबूत पेश किए जाने पर सम्मन जारी करते हुए 27 दिसंबर 2022 को हाजिर होने का आदेश दिया था। राणा अयूब कोर्ट में पेश होने के बजाए इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी।