Friday, April 19, 2024
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गंगा के पानी में नहीं मिला कोरोना का कोई भी अंश, लाशों पर की गई थी राजनीति: CSIR-IITR की 120 पेज के रिसर्च नतीजे

अब 'वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)' एवं ' इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (IITR)' के वैज्ञानिकों की एक समीति ने गंगा नदी के सैम्पल्स की जाँच की है।

2021 के पहले हाफ में कोरोना महामारी जब अपने उच्च-स्तर पर थी, उस दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में बहती लाशों की तस्वीरें शेयर कर के दावा किया गया था कि कोरोना के कारण मौतें छिपाने के लिए मृतकों की लाशों को फेंक दिया गया है। राज्य की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने के लिए भी मीडिया में प्रोपेगंडा चलाया गया। अब ‘वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)’ एवं ‘ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (IITR)’ के वैज्ञानिकों की एक समीति ने गंगा नदी के सैम्पल्स की जाँच की है।

बता दें कि CSIR और IITR के वैज्ञानिकों द्वारा जब गंगा नदी के इन सैम्पल्स की जाँच की गई, तो इसमें कोरोना वायरस का कोई ट्रेस नहीं मिला। पानी के इन सैम्पल्स को 2020 में ही उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा नदी से लिया गया था, जिसकी जाँच के नतीजे अब आए हैं। 120 पेज की इस रिसर्च स्टडी के आधार पर ‘द न्यू इंडियन’ ने अपनी खबर में बताया है कि 13 लोकेशंस से लिए गए गंगा नदी के पानी ने इन सैम्पल्स का RT-PCR टेस्ट के जरिए परीक्षण किया गया।

बता दें कि इसी माध्यम से मानवों में भी कोरोना वायरस के लक्षणों का परीक्षण किया जाता है। वैज्ञानिकों ने उन जगहों से कुल 132 सैम्पल्स एकत्रित किए थे, जहाँ लाशें तैरने की बातें कही गई थीं। ये सारे के सारे सैम्पल्स कोरोना नेगेटिव टेस्ट किए गए हैं। ये सैम्पल्स, कनौज, उन्नाव, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, बक्सर, हमीरपुर, गाजीपुर, बलिया, पटना, सारण और भोजपुर में गंगा नदी से लिए गए थे। पश्चिमी मीडिया ने इन लाशों को कोरोना के कारण हुई मौतें बताया था।

CSIR-IITR के डायरेक्टर एसके बारीक ने ‘द नई इंडियन’ को बताया कि गंगा नदी के अंदर कोविड-19 के सैम्पल्स मौजूद ही नहीं थे। उन्होंने बताया कि ये परीक्षण पर्याप्त संख्या में सैम्पल साइज और कड़ी वैज्ञानिक प्रक्रिया के बाद तय किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिस SOP से 3.5 लाख सैम्पल्स उनलोगों ने टेस्ट किए गए, वही प्रक्रिया इस बार भी अपनाई गई। उन्होंने बताया कि पानी में कोरोना वायरस मिला ही नहीं। ये सैम्पलिंग मई-जून 2021 में की गई थी।

इन नतीजों के आने के बाद भाजपा ने भी दुराग्रह पूर्ण दुष्प्रचार पर निशाना साधा है। प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि डिस्टर्बेंस पैदा करने और लोगों को भड़काने के लिए ये कुचक्र रचा गया था। उन्होंने इसे ‘राहुल गाँधी के नेतृत्व वाले कॉन्ग्रेस टूलकिट गैंग’ की साजिश बताते हुए कहा कि उन्होंने पहले लॉकडाउन पर सवाल उठाए, बाद में लॉकडाउन की वकालत की। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे सपा ने लोगों को वैक्सीन न लेने के लिए भड़काया और इसे भाजपा की वैक्सीन बताया।

राकेश त्रिपाठी ने कहा, “लाशों के ऊपर राजनीति इसीलिए खेली गई, ताकि लाशों की तस्वीरें दिखा कर डर का माहौल पैदा किया जा सके और भाजपा को बदनाम किया जा सके। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा किया गया। महाराष्ट्र और केरल में यूपी से ज्यादा मौतें हुईं, लेकिन वहाँ को लेकर कुछ नहीं कहा गया। अब पश्चिमी मीडिया और विपक्षी दलों को इसका जवाब देना होगा।” जबकि वैज्ञानिक अध्ययन के नतीजों में कुछ अलग ही बात सामने आई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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