खालिस्तानी आतंकी समूह सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नू भारत में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के इल्जाम में गिरफ्तार दिशा रवि, दीप सिद्धू, नवदीप कौर और निकिता जैकब व अन्य के समर्थन में आया है।
उसने बताया है कि उसके खालिस्तानी संगठन ने इन कार्यकर्ताओं के समर्थन में एक वेबसाइट बनाई है। उसका मानना है कि इन कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का चार्ज लगाकर इनसे इनका प्रोटेस्ट का अधिकार छीना गया है।
उसने ट्विटर4फॉर्मर वेबसाइट को लेकर कहा कि इससे अमेरिकी, कनाडाई, ब्रितानी, जर्मनी, अस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन और ईयू जैसे विदेशी राजदूतों पर दबाव बनाने में मदद मिलेगी कि वह पीएम मोदी को कहीं भी आने जाने से बैन करें। पन्नू ने अनुरोध किया है कि प्रदर्शनकारी इस इमेल कैंपेन में सहभागी बनें।
ईमेल फॉरमैट में लिखा है दिशा रवि का नाम
SFJ का पोस्टर वेबसाइट पर देखा जा सकता है। यह बताता है कि ये वेबसाइट टूलकिट के क्रिएटर्स और दंगाइयों के लिए बनाया गया है। इस पर राजदूतों को ईमेल भेजने का लिंक भी है।
इसमें अलग से दिशा रवि का नाम है। जिसके साथ लिखा गया है, “दिशा रवि एक पर्यावरण एक्टिविस्ट हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है और टूल किट बनाने व शेयर करने के लिए देशद्रोह की धारा लगाई गई है।”
हमने जब वेबसाइट के बारे में और जानकारी जुटाई तो हमें पता चला कि इसे 16 फरवरी 2021 को ही बनाया गया है।
इसमें कॉन्टैक्ट की जानकारी छिपाई हुई है लेकिन पंजीकृत संगठन का नाम पन्नू लॉ फर्म पीसी है, जिसका दफ्तर न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में है। ये कंपनी सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू की है।
टूलकिट का पूरा मामला
बता दें कि 4 फरवरी 2021 को पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर टूलकिट पोस्ट किया था। इस टूलकिट से साफ पता चला था कि कैसे भारत के विरोध में एक वैश्विक प्रोपगेंडा चलाया जा रहा है, जिसके लिंक खालिस्तान समर्थक व खालिस्तानी संगठनों से है।
पुलिस ने इस टूलकिट का संबंध 26 जनवरी को हिंसा के साथ देखते हुए इस केस में मुकदमा दर्ज किया था। बाद में कई लोग इसकी एडिटिंग, इसे बनाने और इसके डिस्ट्रिब्यूट करने के लिए धरे गए। इनमें एक 21 साल की दिशा रवि भी थीं। कथितततौर पर दिशा की ग्रेटा से मैसेज पर बात हुई थी और उससे ये भी कहा था कि उसका ये ट्वीट उनका यूएपीए लगवा सकता है।
बाद में निकिता जैकब और शांतनु के ख़िलाफ़ गैर जमानती वारंट जारी हुआ, जो मामला दर्ज होने के बाद से ही फरार थे। दोनों ने अपनी बेल के लिए उच्च न्यायालयों में आवेदन किया था, जिसमें से निकिता को 10 दिन की ट्रांजिट जमानत दी गई।
पुलिस ने दंगों और पीटर फ्रेडरिक के बीच के लिंक का भी खुलासा किया, जिसके आतंकी संगठनों से जुड़े होने के कारण खूफिया एजेंसी 2006 से नजर बनाए हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने बताया कि इन तीन लोगों ने 67 अन्य लोगों के साथ खालिस्तानी संगठन के साथ जूम कॉल की थी, जिसमें ये बात हुई थी कि आखिर दंगों के लिए प्रदर्शनकारियों को कैसे उकसाया जाए।