न्यूज़ 18 की रिपोर्ट्स के अनुसार शाहीन बाग़ में नागरिकता कानून और ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप’ (एनआरसी) के खिलाफ जारी धरना प्रदर्शन ने 250 से ज्यादा दुकानों पर ताला जड़ दिया है।
मार्किट संघ के सदस्यों के अनुसार इस तालाबंदी के कारण काम धंधे ठप्प हैं जिससे अधिकतर काम करने वालों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। इस तालाबंदी के कारण 3000 से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित हुए हैं जबकि 150 करोड़ रूपए के बिजनेस का नुकसान उठाना पड़ा है।
बाजार संघ के एक वरिष्ठ सदस्य ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थों से मिल कर, उन्हें व्यापरियों को हो रहे वित्तीय नुकसान और इसके कारण दुकानदारों और उसके स्टॉफ को होने वाली परेशनियों से अवगत कराने की इच्छा जताई। उसने ख़ास तौर पर मेंशन किया कि इन धरना दे रहे लोगों के साथ हुई बातचीत बेनतीजा ही जा रही।
उनका कहना है, “यह लड़ाई सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच की है पर इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा। हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि इस विरोध प्रदर्शन को कहीं और शिफ्ट किया जाए।”
इस विरोध प्रदर्शन के कारण कासिफ नामक इंटीरियर डिजाइनिंग की दुकान चलाने वाले व्यक्ति को अपनी दुकान बंद करनी पड़ी जिस कारण वह न अपनी दुकान का किराया चुका पा रहा न घर का। ऐसी ही कहानी एक कामर्शियल शोरूम के स्टोर मैनेजर शब्बीर अहमद की है जो पहले 20,000 से 25,000 रूपए तक हर महीने कमाता था लेकिन अब पिछले ढ़ाई महीने से घर बैठा हुआ है।
शब्बीर अहमद का कहना है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है और सभी को उसकी बात का सम्मान करते हुए इस प्रोटेस्ट को कहीं और शिफ्ट करना चाहिए, मैं नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के साथ हूँ पर अपनी रोजी-रोटी की कीमत पर नहीं। शब्बीर के अनुसार उसकी स्थिति दिन प्रति दिन अब बद से बदतर होती जा रही है।
यही कहानी रायबरेली के एक गाँव के रहने वाले हरप्रीत कुमार की है जिसके पिता गाँव में किसानी करते हैं और परिवार के एकलौते कमाने वाले हैं। शाहीन बाग़ प्रोटेस्ट के कारण उसको दिल्ली छोड़ गाँव वापस जाना पड़ा है।
प्रदर्शनकारियों में से एक जिसे इस बात पर दृढ़ विश्वास है कि वह रोड ब्लॉक कर के भारतीय संविधान की रक्षा कर रहा है कहता है कि उसे पता है कि इससे लोगों का रोजगार जा रहा पर 200 लोगों के हितों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण 135 करोड़ लोगों के अधिकारों की रक्षा है।
शाहीन बाग़ में धरना के नाम पर अराजकता फैला रहे लोगों के पास बेतुके तर्कों की कमी नहीं है। इसीलिए जब 4 माह का बच्चा सर्दी खाने से मर जाता है तो उसके लिए शहीद का दर्जा मुकर्रर हो जाता है , ‘अल्लाह की बच्ची थी अल्लाह ने बुला लिया’ जैसी मूर्खतापूर्ण बातें कही जाती हैं। इस्लामिक सर्वोच्चता से प्रेरित शाहीन बाग़ का प्रोटेस्ट व्यापार और रोजगारों को होते नुकसान के साथ साथ एक बड़ी आबादी के लिए रोज के अभूतपूर्व ट्रैफिक जाम का भी कारण है।