द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद तमाम कश्मीरी पंडित अपने-अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। इसी बीच JKLF के खूँखार आतंकी बिट्टा कराटे से जुड़ा एक और वाकया सामने आया है। कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकी बिट्टा कराटे ने कम से कम 20 कश्मीरी पंडितों को अपने हाथ से मारा था। इसी में एक अमित नाम का नौजवान लड़का भी था। अमित की हत्या के लिए कराटे ने कोई साजिश नहीं रची थी। उसे तो उस कश्मीरी पंडित को मारना था जिनके परिवार के साथ वो क्रिकेट खेलता था और जो उसे स्कूल जाने के लिए पैसे देते थे।
कश्मीर ओवरसीज ऑर्गेनाइजेशन के मेडिकल डायरेक्टर राजीव पंडित ने पहली बार बिट्टा कराटे से जुड़ी ये कहानी अपने ट्विटर पर साझा की है। राजीव ने बताया कि जिस शख्स के धोखे में कराटे ने अमित को मौत के घाट उतारा, वो उनके मामा थे। उन्होंने अपने ट्वीट में जानकारी दी कि कैसे बिट्टा की गोली से उनके मामा बचे और अमित की जान गई।
उन्होंने लिखा, “फारूख अहमद डार के आतंकी बनने से पहले वो सिर्फ अन्य बच्चों की तरह था जिसका घर का नाम बिट्टा था और वो श्रीनगर में मेरे परिवार के साथ क्रिकेट खेलता था। मेरे मामा उसे स्कूल जाने के लिए पैसे देते थे।”
राजीव के ट्वीट से मालूम चलता है कि कैसे बचपन में बिट्टा के संबंध राजीव पंडित के घर से ठीक-ठाक थे। लेकिन जब वो ट्रेनिंग कैंप से लौटा तो चीजें बदल गईं। वह लिखते हैं, “POK में बिट्टा की ट्रेनिंग के बाद जब वो लौटा तो उसे आदेश मिले कि वो मेरे मामा को मारे। बिट्टा के साथ JKLF का एक और आतंकी था जो मेरे मामा पर नजर बनाए हुए था। उसने मेरे मामा को घर से निकल कर हबा कदल चौहारे की ओर जाते देखा। उनकी योजना थी वो मेरे मामा को नजदीक से गोली मारेंगे।”
वह बताते हैं, “नजर बनाए रखने वाले ने मेरे मामा को 16 फरवरी 1990 को सुबह 9:30 बजे घर से जाते देखा, उन्होंने चमड़े की जैकेट पहनी थी। बिट्टा को ये सारी जानकारी दी गई और वह मामा को मारने आगे बढ़ा। लेकिन तभी बीच रास्ते में मामा को याद आया कि उनके बड़े भाई का जन्मदिन है इसलिए वह दोबारा से पूजा में शामिल होने वापस घर लौट गए। पीछा करने वाले ने ये नहीं देखा कि मामा वापस लौटे हैं। उनके पीछे एक 26 साल का नौजवान लड़का अनिल भान हबा कदल से निकल रहा था जिसने चमड़े की जैकेट पहनी हुई थी।” बिट्टा कराटे ने प्राप्त जानकारी के अनुसार चौराहे पर उस व्यक्ति को मौत के घाट उतार डाला जिसे वह राजीव पंडित का मामा मान रहा था।
Why did I never tell this story before? Because despite speaking on behalf of Kashmiri Hindus for 30 years in the US, in Congress and to the media, I didn’t think anyone would really listen. Thanks to @vivekagnihotri, people finally are 🙏. #RightToJustice 8/n
— Rajiv Pandit (@rajiv_pandit) March 21, 2022
राजीव पंडित लिखते हैं, “आप कभी भी उस माँ की चीख नहीं भूल सकते जिसने खून से सने अपने बेटे के शव को देखा। आतंकी जान गए कि उन्होंने गलत आदमी को मार दिया है। लेकिन अनिल का ही बलिदान था कि आज मेरे मामाजी जिंदा हैं।” वह इस घटना को याद करते हुए कहते हैं कि ये दुख न तो अनिल की माँ के हिस्से होना चाहिए और न ही उनके मामाजी। वह बताते हैं कि अमेरिका में 30 सालों से कश्मीरी पंडितों की आवाज बनते हुए उन्होंने ये कहानी कभी किसी को नहीं बताई थी क्योंकि उन्हें लगता था कि उनकी सुनवाई कभी नहीं होगी। वह कश्मीरी पंडितों की आवाज बनने के लिए विवेक अग्निहोत्री को आभार व्यक्त करते हैं।