सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास के आधार पर फ़ैसला नहीं करना चाहिए बल्कि क़ानून के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का शूट लिमिटेशन एक्ट के तहत आता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये लिमिटेशन 12 साल का है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि 1857 से पहले हिन्दू यहाँ पूजा करते थे। यानी, अंग्रेजों के आने से पहले ही राम चबूतरा, सीता रसोई और विवादित ज़मीन के बाहरी हिस्से में हिन्दू पूजा किया करते थे। अर्थात, आउटर कोर्टयार्ड हिन्दुओं की पूजा का मुख्य बिंदु था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारा विवाद अंदर के हिस्से को लेकर है।
मुस्लिम पक्ष भीतरी हिस्से पर अपना स्वामित्व साबित करने में विफल रहे, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
Supreme Court: There is evidence that Ram Chabutra, Sita Rasoi was worshipped by the Hindus before the British came. Evidence in the records shows that Hindus were in the possession of outer court of the disputed land. #AyodhyaJudgment https://t.co/7o15aF4PkA
— ANI (@ANI) November 9, 2019
सीजेआई रंजन गोगोई ने पहले ही साफ़ कर दिया था कि कि पूरा जजमेंट पढ़ने में आधा घंटा लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का दावा ख़ारिज कर दिया। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संतुलन बनाए रखना चाहिए और लोगों की आस्था में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने शिया समुदाय का भी दावा ख़ारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा का सूट केवल मैनेजमेंट का है, वो सहबैत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि राम जन्मभूमि कोई ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बनी थी, वहाँ कोई न कोई स्ट्रक्चर था। उससे पहले वहाँ जो भी स्ट्रक्चर था, वो इस्लामिक नहीं था। अर्थात, बाबरी मस्जिद खाली ज़मीन पर नहीं बना था।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएसआई ने इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कहा है कि वहाँ हिन्दू मंदिर को तोड़ कर ही मस्जिद बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहाँ क्या था, इस सम्बन्ध में अकेले एएसआई के आधार पर फ़ैसले पर निर्णय नहीं लिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से पता चलता है कि वहाँ दोनों धर्मों के लोग प्राथना करते आ रहे थे।