सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है। साथ ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि इसके लिए क्लियरेंस देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। साथ ही पर्यावरण को लेकर जो क्लियरेंस दिया गया था, उसे भी बरकरार रखा गया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस संजीव खन्ना ‘सिडेंटिंग जजमेंट’ का हिस्सा बने।
Justice Sanjiv Khanna dissents from majority view of Justices AM Khanwilkar & Dinesh Maheshwari.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) January 5, 2021
Khanna J holds as bad in law the change in land use & environmental clearances.
The majority view, however, will prevail. https://t.co/nc1BpgmrCD
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इसके लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमिटी की अनुमति लेनी ज़रूरी है, इसीलिए सरकार को इस कमिटी की अनुमति लेनी चाहिए। 3 जजों के बेंच ने 2:1 से फैसला सुनाया। साथ ही DDA एक्ट के तहत जिन अधिकारों का उपयोग किया गया है, उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने न्यायसंगत और सही करार दिया। साथ ही पर्यावरण मंत्रालय से जो क्लियरेंस मिला, उसे भी नियमों के अनुरूप बताया।
बता दें कि दिसंबर 10, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन का भूमि पूजन किया था, जिसे लगभग 971 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच की जगह का पुनर्विकास शामिल है। हिन्दू रीति-रिवाज़ों के अंतर्गत भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
श्रृंगेरी के श्री शारदा पीठम से आए पुजारियों के समूह ने विधिवत पूजा की थी। इसके अलावा ऐतिहासिक आयोजन के मौके पर विभिन्न धर्म के गुरुओं ने ‘सर्व धर्म प्रार्थना’ की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी को शिलान्यास के आयोजन की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। हिन्दू रीति-रिवाज़ों से भूमि पूजन के लिए संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने श्रृंगेरी शारदा पीठम के जगतगुरु श्री भारती तीर्थ महास्वामी से इस संबंध में निवेदन किया था।