Thursday, May 16, 2024
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पीरियड्स के वक्त नहीं मिलेगी पेड लीव: SC में खारिज हुई याचिका, अदालत ने कहा- ऐसे निर्देशों से महिलाओं को नौकरी में दिक्कत आएगी

छात्रों या महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दी जाने वाली लीव की माँग पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सरकारी नीति से संबंधित मामला है। इस तरह के मामले में कोई भी निर्देश देने का मतलब होगा कि महिलाओं की भर्ती में दिक्कत आएगी।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान पेड लीव देने वाली याचिका को शुक्रवार (24 फरवरी 2023) को खारिज कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह सरकारी नीति से संबंधित मामला है। इस तरह के मामले में कोई भी निर्देश देने का मतलब होगा कि महिलाओं की भर्ती में दिक्कत आएगी। लोग उन्हें नौकरी देने से परहेज करेंगे। अदालत ने कहा कि बेहतर यह होगा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संपर्क करें। लिहाजा, यह याचिका खारिज की जाती है।

दिल्ली के रहने वाले शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने यह याचिका दायर की है। इस याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 के अनुपालन के लिए केंद्र व सभी राज्यों को छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए उनके संबंधित कार्यस्थलों पर मासिक धर्म के दौरान पेड लीव का निर्देश देने की माँग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं और छात्राओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उन्हें और भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उनको पीरियड्स लीव दिए जाने के संबंध में आदेश पारित करना चाहिए।

याचिका में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन द्वारा किए गए एक अध्ययन का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि एक मासिक धर्म में महिलाओं को हार्ट अटैक के बराबर दर्द महसूस होता है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि यूनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देशों में पीरियड्स लीव दी जा रही है।

बता दें कि स्पेन के सांसदों ने हाल ही में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेड लीव देने वाले कानून को मंजूरी दी। ऐसा करने वाला स्पेन पहला यूरोपीय देश बन गया है। इस कानून के पक्ष में 185 मत और इसके खिलाफ 154 वोट पड़े थे। वहीं, भारत में बिहार ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जो 1992 से महिलाओं को मासिक धर्म में दो दिन का विशेष अवकाश दे रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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