मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने शुक्रवार (25 मार्च 2022) को एक सुनवाई के दौरान कहा कि अगर भगवान भी सरकारी जगह पर अतिक्रमण करते हैं तो उसे हटाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि कोई भी भगवान नहीं कहते कि सार्वजनिक जगहों पर मंदिर बनाकर अतिक्रमण करो।
तमिलनाडु के नमक्क में सड़क पर बने अरुलमिघू पलापट्टराई मरिअम्मन तिरुकोइल मंदिर से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस. आनंद वेंकटेश ने कहा, “हम ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं, जहाँ भले ही भगवान सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करें, अदालतें इन अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश देंगी क्योंकि सार्वजनिक हित और कानून के शासन को सुरक्षित और बरकरार रखा जाना चाहिए।”
न्यायाधीश ने कहा कि भगवान के नाम पर मंदिरों का निर्माण करके अदालतों को धोखा नहीं दिया जा सकता है। कुछ लोगों ने यह धारणा बना रखी है कि वे मंदिर बनाकर या मूर्ति लगाकर सार्वजनिक स्थानों पर कभी भी अतिक्रमण कर सकते हैं।
While holding that a temple has encroached and put up a construction on a public street, Justice N Anand Venkatesh notes:
— Live Law (@LiveLawIndia) March 25, 2022
“We have reached a situation where even if GOD encroaches upon a public space, Courts will direct removal of such encroachments, since public interest… pic.twitter.com/ukz93zGTdW
हालाँकि, ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं जब कोर्ट ने धार्मिक सद्भाव बिगड़ने का खतरा बताकर अन्य धर्मों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए उसे खारिज कर दी है। नीचे दिए गए सुप्रीम कोर्ट के दो मामलों के जरिए इसे समझा जा सकता है।
मंदिरों में ट्रस्टी की नियुक्ति पर नोटिस
तमिलनाडु के सभी हिंदू मंदिरों के प्रबंधन के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में ट्रस्टी कमेटी बनाने की माँग को लेकर ‘हिंदू धर्म परिषद’ ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। याचिका में माँग की गई थी कि कमेटी में एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक भक्त, एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति और एक महिला को सदस्य बनाई जाए।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने 19 मार्च 2022 को सुनवाई करते हुए इस विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था। बता दें कि हिंदू धर्म परिषद की इस याचिका को मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
परिषद ने हाईकोर्ट से कहा था कि तमिलनाडु में कई हिंदू मंदिरों का रख-रखाव ठीक नहीं है और उन्हें नष्ट किया जा रहा है। परिषद ने केरल के श्रीपद्मनाभ स्वामी मंदिर का हवाला दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने समिति बनाने का निर्देश दिया था।
हालाँकि, जब इसी हिंदू धर्म परिषद ने ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों से संबंधित जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी तो कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। कोर्ट का तर्क था कि इससे भाईचारा बिगड़ सकता है।
“Issue notice”: When a PIL asks for trustee committees with quota for ex-judges, women and SC/STs to manage affairs of #Hindu temples.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) March 25, 2022
“Don’t disturb harmony”: When the same petitioner wants a check on activities of #Christian missionaries. #SupremeCourt pic.twitter.com/ZwcoxsiNqP
जब ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों से संबंधित याचिका कोर्ट ने कर दी थी खारिज
जब इसी हिंदू धर्म परिषद ने ईसाइयों द्वारा जारी प्रलोभन एवं धर्मांतरण को लेकर याचिका कोर्ट में दी तो सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (25 मार्च 2022) खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने ईसाइयों की गतिविधियों की निगरानी के लिए एक बोर्ड बनाने की माँग वाली याचिका पर विचार करने से ही मना कर दिया।
पीठ ने कहा, “इस प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस मामले में न्यायालय द्वारा उचित आदेश जारी करना सही नहीं है। यह राज्य के अधिकार क्षेत्र में है। हालाँकि, विशेष सरकारी वकील ने 2002 के अधिनियम 56 की एक प्रति दी है, जो बल या कपटपूर्ण तरीकों से प्रलोभन देकर एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण पर रोक लगाने और उससे संबंधित मामलों के लिए प्रावधान करता है।”
जब कोर्ट के समन के बाद शिवलिंग को उखाड़कर कोर्ट में पेश किया गया
बता दें कि कोर्ट के निर्देश पर शिवलिंग को भी उखाड़कर कोर्ट में पेश कर दिया जाता है। भगवान शिव को छत्तीसगढ़ के राजस्व अधिकारियों द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद शुक्रवार (25 मार्च 2022) को शिवलिंग सहित तहसील कोर्ट में पेश किया गया है।
रायगढ़ जिले के अधिकारियों के मुताबिक, भगवान शिव ने जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया है। नोटिस में हाजिर न होने की दशा में उन पर 10,000 रुपए जुर्माना भी लगाने की तैयारी थी। स्थानीय ग्रामीणों ने मजबूर हो कर शिवलिंग को उखाड़ कर कोर्ट में पेश किया।