सवाल नंबर 1: क्या इंद्रा साहनी जजमेंट (मंडल कमीशन केस) पर पुनर्विचार की जरूरत है? 1992 के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50% तय की थी।
सवाल नंबर 2: क्या 102वाँ संवैधानिक संशोधन राज्यों की विधायी क्षमता को प्रभावित करता है। यानी, क्या राज्य अपनी तरफ से किसी वर्ग को पिछड़ा घोषित कर आरक्षण दे सकते हैं या 102वें संशोधन के तहत अब यह अधिकार केवल संसद को है?
इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी किया। मराठा आरक्षण पर रोक को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया। महाराष्ट्र सरकार ने 102वें संवैधानिक संशोधन की व्याख्या की जरूरत बताते हुए अदालत से यह अपील की थी।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (मार्च 8, 2021) को सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी चाहते हैं कि इस मामले में सभी राज्यों को सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट विचार कर रही है कि क्या 102वाँ संविधान संशोधन संघीय ढाँचे पर गलत प्रभाव डालता है और इंद्रा साहनी फैसला पर एक बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट को राज्यों से ये जानना है कि क्या आरक्षण की मौजूदा सीमा को 50% से अधिक किया जा सकता है? इस मामले में 15 मार्च 2021 से प्रतिदिन सुनवाई शुरू होने वाली है। कपिल सिब्बल ने भी अदालत में कहा कि सभी राज्यों को नोटिस जारी किया जाना चाहिए, क्योंकि ये एक संवैधानिक पश्न है जिसका असर सभी पर पड़ेगा।
वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया कि उसे सिर्फ महाराष्ट्र और केंद्र सरकारों को सुन कर फैसला नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे कम महत्ता वाले मामलों में भी कई राज्यों को पक्ष बनाया गया है और ऐसी ही परंपरा भी रही है। महाराष्ट्र में जो भी सरकार हो, वो मराठा आरक्षण की बातें करती रहती हैं। 2018 में नौकरी और शिक्षा में मराठा आरक्षण को 16% कर दिया था। 2019 में बॉम्बे उच्च-न्यायालय ने मराठा आरक्षण को बरकरार रखा, लेकिन आरक्षण को घटा कर नौकरी में 13 प्रतिशत और उच्च शिक्षा में 12 प्रतिशत कर दिया।
Supreme Court issues notice to all the State governments in relation to the case on Maratha reservation and seek their response on whether reservation could be allowed beyond 50%.
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) March 8, 2021
The Court shall resume the day-to-day hearing on the matter on 15th March. pic.twitter.com/ykWnEsQ9NR
बॉम्बे हाईकोर्ट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के इंद्रा साहनी मामले में दिए गए फैसले का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि मराठा आरक्षण 2020-21 में लागू नहीं होगा। अगर इंद्रा साहनी जजमेंट की पुनः समीक्षा होती है तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय पीठ का गठन किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लग-अलग विषयों के आरक्षण से जुड़े अलग-अलग कई केस हैं, जो इस सुनवाई से जुड़े हुए हैं। वहीं सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में आर्टिकल 342ए की व्याख्या भी शामिल है, ये सभी राज्य को प्रभावित करेगा। वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि महाराष्ट्र में EWS आरक्षण को मिला दें तो ये 72% हो जाता है, जो 50% से कहीं ज्यादा अधिक है।