वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में अदालती सर्वे के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। वीडियोग्राफ़ी के दौरान दो स्वस्तिक के निशान मिले हैं। दोनों स्वस्तिक के निशान काफी प्राचीन हैं, लेकिन उन्हें आसानी से समझा जा सकता है। जिस विवादित ढाँचे को ‘मस्जिद’ कहा जाता है, उसके बाहर ही उन्हें पाया गया। रविवार (8 मई, 2022) को सर्वे का काम पुनः शुरू कर दिया गया। इससे पिछले दिन मुस्लिम भीड़ के विरोध के कारण इसे रोकना पड़ा था।
दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू एवं अन्य श्रद्धालुओं की याचिका के बाद ये सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। ज्ञानवापी विवादित ढाँचे की दीवार पर ही हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ स्थित हैं, जिनकी पूजा के लिए न्यायालय से अनुमति माँगी गई है। सर्वेक्षण के लिए आई टीम को मुस्लिम समुदाय के 100 लोगों की भीड़ ने रोक लिया था। लेकिन, आज पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में ये कार्य फिर से शुरू हो गया है।
बता दें कि 1991 में ही कोर्ट में याचिका डाल कर माँग की गई थी कि विवादित ढाँचे की जमीन हिन्दुओं को वापस की जाए। याचिका में कहा गया था कि ज्ञानवापी मामले में ‘प्रार्थना स्थल कानून 1991’ लागू नहीं होता, जो ऐसे धार्मिक स्थलों पर यथास्थिति की बात करता है। कारण बताया गया कि मस्जिद अवशेषों के ऊपर बनाया गया है, जो हिन्दू मंदिरों के हैं।मुस्लिम पक्ष इसके खिलाफ हाईकोर्ट गया। उधर अब ‘वैदिक सनातन संघ’ ने मुकदमा वापस लेने की बात कर दी है।
अगस्त 2021 में पाँच महिलाओं की ओर के दाखिल याचिका के सम्बन्ध में संगठन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन के हवाले से ‘दैनिक भास्कर’ ने लिखा है कि सोमवार को याचिका वापस ले ली जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ निर्णय अचानक से लेने पड़ जाते हैं, जो समझ से परे होते हैं। उन्होंने इस पर अधिक कुछ कहने से इनकार कर दिया। संगठन पहले ही अपनी विधि सलाहकार समिति को भंग कर चुका है। वहीं याचिकाकर्ताओं में से एक मंजू सिंह ने कहा कि राखी के अलावा बाकी महिलाएँ वाराणसी से हैं, ऐसे में चर्चा चल रही है कि मुकदमा वापस लिया जाएगा या नहीं।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद क्या है और क्यों कुछ लोग इसका अयोध्या की तरह हल चाहते हैं, विस्तार से जानिए डीएनए एक्सप्लेनर में…#KashiVishwanath #GyanvapiMosque #DNAExplainerhttps://t.co/V5pu6XW1Wd
— DNA Hindi (@DnaHindi) May 8, 2022
वीडियोग्राफ़ी के काम में बाधा डालने पर संत समाज भी नाराज़ है। ‘अखिल भारतीय संत समिति’ के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि वाराणसी में जिन आक्रांताओं ने मंदिर तोड़े थे, उनके वंशजों को आज संविधान और देश के कानून पर भरोसा नहीं है। उन्होंने इस अराजकता को इसका उदाहरण बताया। उन्होंने पूछा कि आखिर कब तक सर्वे रोकोगे? उन्होंने कहा कि मस्जिद कमिटी अलग-अलग तरह की बातें कर रही है। उन्होंने मुस्लिम भीड़ के जुटान को एक सुनियोजित षड्यंत्र करार दिया।