Monday, June 17, 2024
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‘स्वाति मालीवाल ने खुद को दे दिए होंगे जख्म, जबरन CM आवास में घुसीं’: विभव कुमार के वकील ने माँगी जमानत, कोर्ट में ही रो पड़ीं AAP की महिला सांसद

उन्होंने कहा कि CCTV के साथ कुछ तकनीकी समस्या हो सकती है, साथ ही बताया कि फॉर्मेट करने के बाद iPhone पुलिस को दिया गया। आरोपित ने मुंबई जाकर फोन फॉर्मेट किया।

अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ में उनके PA द्वारा DCW (दिल्ली महिला आयोग) की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट मामले की सुनवाई सोमवार (27 मई, 2024) को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता N हरिहरन ने विभव कुमार का प्रतिनिधित्व करते हुए उसकी तरफ से जमानत याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि IPC की धारा-308 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसका अर्थ है कि सेशन कोर्ट में इसकी सुनवाई हो सकती है।

उन्होंने बताया कि AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल दिल्ली के CM आवास पहुँची थीं और उन्होंने अरविंद केजरीवाल के PA को बुलाया। उनका कहना है कि विभव कुमार उस समय वहाँ मौजूद नहीं थे, ऐसे में स्वाति मालीवाल मुख्यमंत्री के निवास स्थान की तरफ बढ़ निकलीं। N हरिहरन ने पूछा कि मुख्यमंत्री आवास में कोई इस तरह से घुस सकता है? उन्होंने इसे जबरन घुसना बताते हुए कहा कि इस संबंध में रिपोर्ट दायर की जा चुकी है। उन्होंने दलील दी कि न तो उनके पास कोई अपॉइंटमेंट था, न ही उनके आने की पूर्व-सूचना मिली थी।

अधिवक्ता N हरिहरन के मुताबिक, स्वाति मालीवाल को जब सुरक्षा गार्ड्स ने रोका तो उन्होंने उनसे कहा कि क्या वो एक सांसद को इंतजार कराएँगे? डिफेंस काउंसल के अनुसार, इसके बाद वो वेटिंग रूम में बैठ गईं और सुरक्षाकर्मियों से विभव कुमार से बात करने के लिए कहा। उन्होंने FIR में लिखी बातों को झूठा बताते हुए कहा कि इसे तुरंत नहीं दर्ज कराया गया, 3 दिन बाद फाइल किया गया। उन्होंने कहा कि CM आवास में ऐसी घटना नहीं हो सकती, वहाँ उस समय कई लोग मौजूद थे।

साथ ही उन्होंने ये भी दलील दी कि उस क्षेत्र में कई अस्पताल होने के बावजूद स्वाति मालीवाल को मेडिकल टेस्ट के लिए AIIMS ले जाया गया। उन्होंने कहा कि कोई गंभीर जख्म नहीं है, ऐसे में इसे हत्या का प्रयास नहीं माना जा सकता। उन्होंने दावा किया कि जो जख्म हैं, वो खुद से किए गए भी हो सकते हैं। उन्होंने स्वाति मालीवाल के कपड़े फाड़े जाने की बात को भी झूठ बताया। इस दौरान AAP की राज्यसभा सांसद रो पड़ीं। वकील ने कहा कि FIR में दर्ज सारी चीजें बाद में सोची गई हैं।

उनका कहना था कि वो अपने मुवक्किल को निर्दोष साबित करने के लिए नहीं कह रहे, बल्कि सिर्फ जमानत माँग रहे हैं। उन्होंने कहा कि CCTV फुटेज पुलिस के पास मौजूद है, ऐसे में इससे छेड़छाड़ की बात सही नहीं है। उन्होंने ये दलील भी दी कि विभव कुमार शुरू से जाँच में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वाति मालीवाल की ‘कहानी’ के हिसाब से सब कुछ तय किया गया है, ताकि जमानत से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि विभव कुमार 18 मई से कस्टडी में हैं।

उनके विरोध में सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने जिरह की और कहा कि हत्या के प्रयास के लिए इरादा मालूम होना ज़रूरी नहीं है, इसके बारे में पता चलना ही काफी है। उन्होंने पूछा कि पीड़िता को पीटा जाना, घसीटा जाना और टेबल के बीच में उनका सिर का टकराना, क्या ये हत्या की कोशिश नहीं है? उन्होंने कहा कि स्वाति मालीवाल को अरविंद केजरीवाल ‘लेडी सिंघम’ कहते थे, आरोपित को पद से हटाया जा चुका है।

उन्होंने दलील दी कि विभव कुमार ने ये नहीं बताया कि वो PA के पद पर नहीं है और अरविंद केजरीवाल से उनकी बैठक नहीं करा सकता, ऐसे में उनके इरादे ठीक नहीं थे। उन्होंने कहा कि पहले कभी भी स्वाति मालीवाल को अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए पहले कभी अपॉइंटमेंट नहीं लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब वेटिंग रूम में स्वाति मालीवाल को बिठाया गया था, फिर उनके जबरदस्ती वहाँ घुसने की बात सही कैसे हो सकती है? अचानक वहाँ विभव कुमार आ गया और पूछने लगा कि उन्हें वहाँ किसने बिठाया?

APP के अनुसार, वहाँ मौजूद सभी लोग विभव कुमार को रिपोर्ट कर रहे थे, इसका मतलब है कि वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है और वो प्रभावशाली है। उन्होंने कहा कि CR पार्क के पास पीड़िता रहती हैं, इसीलिए वो AIIMS में मेडिकल के लिए गईं। उन्होंने कहा कि यौन अपराधों को दर्ज कराने में पूरे देश की महिलाएँ हिचकती हैं, ऐसे में पहली बार थाने जाने के बावजूद स्वाति मालीवाल ने घटना का पूरा विवरण नहीं दिया, बल्कि पुलिस अधिकारी उनके घर गए तो उन्होंने सब कुछ बताया।

उन्होंने कहा कि CCTV के साथ कुछ तकनीकी समस्या हो सकती है, साथ ही बताया कि फॉर्मेट करने के बाद iPhone पुलिस को दिया गया। आरोपित ने मुंबई जाकर फोन फॉर्मेट किया। उन्होंने जमानत याचिका का विरोध करते हुए आरोपित की और अधिक कस्टडी की ज़रूरत जताई। उन्होंने कहा कि पीड़िता आरोपित को बदनाम नहीं कर रही थी, आरोपित को घटनास्थल के पास पाया गया। वहीं स्वाति मालीवाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता माधव खुराना ने जिरह की।

उन्होंने दलील दी कि पीड़िता को नोटिस दिए बिना जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि 3-4 दिन बाद भी जख्म थे, इसका मतलब है कि वो गहरे थे। उन्होंने बताया कि 17 मई को ईमेल के जरिए पीड़िता ने शिकायत भेज दी थी। पुलिस से पूछताछ में आरोपित ने गुमराह किया। उन्होंने याद दिलाया कि विभव कुमार पहले भी सरकारी कर्मचारी से मारपीट कर चुका है। साथ ही पूछा कि अगर वो निर्दोष है तो उसने फोन को फॉर्मेट क्यों किया, CCTV फुटेज से छेड़छाड़ क्यों की गई?

उन्होंने ध्यान दिलाया कि कैसे स्वाति मालीवाल को हत्या और बलात्कार की धमकियाँ मिल रही हैं। इस दौरान स्वाति मालीवाल ने भी बताया कि कैसे AAP ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के उन्हें भाजपा का एजेंट बताया। उन्होंने कहा कि AAP के पास एक बड़ी मशीनरी है, उसे काम पर लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर विभव कुमार बाहर आता है तो उनके परिवार को खतरा है। उन्होंने कहा कि विभव कुमार कोई साधारण व्यक्ति नहीं है, उसे वही शक्ति और सुविधा हासिल है जो एक मंत्री को होती है। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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