Wednesday, May 14, 2025
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J&K में जवानों की हत्या, हथियार सप्लाई, रेकी: दिल्ली में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी को अजमेर से मिला था रूट

एक आईडी में उसका नाम अहमद नूरी है। उसने भारत का पासपोर्ट भी बनवा लिया था और इसी पासपोर्ट पर उसने सऊदी अरब और थाईलैंड की यात्राएँ भी की थीं। गाजियाबाद की एक महिला से शादी कर के उसने कागजात बनवा लिए थे।

दिल्ली के लक्ष्मी नगर से गिरफ्तार किए गए आतंकवादी मोहम्मद अशरफ 2011 में दिल्ली उच्च-न्यायालय के सामने हुए बम धमाकों में भी शामिल था। उसने कबूल किया है कि धमाकों से पहले वो कई बार हाईकोर्ट की रेकी कर चुका था। इतना ही नहीं, उसने दिल्ली पुलिस मुख्यालय और ISBT की रेकी भी की थी। पूछताछ में उसने उगला है कि जम्मू कश्मीर में कई बार उसके सामने ही आतंकवादियों ने सेना के जवानों का अपहरण किया।

अशरफ 2005-06 में राजस्थान के अजमेर में रहा करता था। वहाँ उसे झाड़-फूँक की आड़ में खुद को छिपाए रखा। पीर-फकीर की वेशभूषा में ही वो कई इलाकों की रेकी किया करता था। उसे सीधे पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI से टास्क दिए जाते थे। उसका हैंडलर का कोड नेम नासिर था। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के DCP प्रमोद कुशवाहा ने जानकारी दी है कि गिरफ्तार आतंकवादी अशरफ के पास से एक-दो नहीं, बल्कि कई फर्जी आईडी कार्ड्स मिले हैं।

इसमें से एक आईडी में उसका नाम अहमद नूरी है। उसने भारत का पासपोर्ट भी बनवा लिया था और इसी पासपोर्ट पर उसने सऊदी अरब और थाईलैंड की यात्राएँ भी की थीं। गाजियाबाद की एक महिला से शादी कर के उसने कागजात बनवा लिए थे। एक आईडी उसके पास बिहार की भी थी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले के कोटली सिधवान गाँव के निवासी मोहम्मद अशरफ 2001 में ISI के संपर्क में आया था।

उसके अम्मी-अब्बू की मौत हो चुकी थी। उनकी तीन बहनें और एक भाई है। आतंकी संगठनों की तरफ से उसे आर्थिक मदद मिलने लगी थी। फिर उसके झुकाव जिहाद की तरफ हो गया। 2003 में उसकी ट्रेनिंग शुरू हुई और अगले ही साल ट्रेनिंग पूरी होने पर उसे ढाका भेज दिया गया। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के रास्ते वो भारत में दाखिल हुआ था। कुछ दिनों तक वो कोलकाता और फिर अजमेर में रहा।

दिल्ली में रह कर पीर मौलाना की तरह अपनी पहचान बनाने में लगा मोहम्मद अशरफ को सोमवार (11 अक्टूबर, 2021) की रात 9:20 में गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से एक AK-47 राइफल, इसकी एक मैगजीन, एक हैंड ग्रेनेड और 50 राउंड गोलियों के साथ दो पिस्टल बरामद हुई थी। वो स्लीपर सेल के रूप में किसी बड़े साजिश की तैयारी में था। दिल्ली में किसी बड़े हमले की फिराक में था।

2009 में जम्मू बस स्टैंड पर भी उसने ही बम ब्लास्ट किया था, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट में धमाके के लिए दो आतंकी आए थे, जिनमें से एक का नाम गुलाम सरवर था। उसने कबूला है कि जम्मू कश्मीर में वो 5 जवानों की बेरहमी से हत्या कर चुका है। वो अक्सर वहाँ हथियार सप्लाई करने जाता था। ईमेल में ड्राफ्ट के जरिए ISI से उसकी बातचीत होती थी। वो एक दशक से दिल्ली में रह रहा था।

गाजियाबाद के वैशाली कॉलोनी से भी उसका लिंक जुड़ा है, जिसके वहाँ की पुलिस से दिल्ली पुलिस संपर्क में है। वैशाली कॉलोनी में ही एक महिला से शादी कर उसने छोड़ दिया था। उसने इंडिया गेट और लाल किले की भी रेकी की थी। आतंकवादी ने कबूला है कि उसने 10 जगहों पर रेकी की थी। बिहार में एक सरपंच का विश्वास हासिल कर के उसने फर्जी आईडी कार्ड बनवाया था। अजमेर शरीफ में बिहारियों के संपर्क में आकर वो बिहार गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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